________________ સ્કૂફ जैन धर्म और दर्शन और सत्ता-स्वामित्व भी वर्णित है / [ इसके विशेष खुलासे के लिए तीसरे कर्मग्रंथ में परिशिष्ट (क) नं० 1 देखो]। इसलिए तीसरे कर्मग्रंथ के अभ्यासियों को उसे अवश्य देखना चाहिए / तीसरे कर्मग्रंथ में उदय-स्वामित्व आदि का विचार इसलिए नहीं किया जान पड़ता है कि दूसरे और तीसरे कर्मग्रंथ के पढ़ने के बाद अभ्यासी उसे स्वयं सोच ले। परन्तु आजकल तैयार विचार को सब जानते हैं; स्वतंत्र विचार कर विषय को जानने वाले बहुत कम देखे जाते है / इसलिए कर्मकाण्ड की उक्त विशेषता से सब अभ्यासियों को लाभ उठाना चाहिए / ई० 1922] [ तीसरे कर्मग्रन्थ की प्रस्तावना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org