________________ 124 मणिगुरु चरणरज आर्य मेहुलप्रभसागर SAMBODHI तक दीक्षा, बडी दीक्षा, योगोद्वहन, पदारोहण आदि प्रत्येक विधि-विधान में आपका नाम लेकर निक्षेप किया जाता है। ऐसा उदाहरण समग्र जिनशासन में विरल ही है। महोपाध्यायजी का स्वर्गवास बीकानेर में वि.सं.1873 पौष वदि 14 को हुआ था। इस वर्ष पौष वदि 14 बुधवार ता.28 दिसम्बर 2016 को उनके स्वर्गवास के दो सौ वर्ष पूरे हुये / दुर्ग नगर में अ.भा.खरतरगच्छ युवा परिषद् के अधिवेशन में खरतरगच्छाधिपति श्री जिनमणिप्रभसूरिजी महाराज द्वारा की गई घोषणानुसार पूरे भारत में विविध जिनभक्ति व गुणानुवाद के कार्य किये गये / आपके द्वारा रचित अनेक रचनाएँ अद्यावधि अप्रकाशित हैं / अद्यावधि प्राप्य समग्र 180 कृतियों में से 121 लघुकृतियों का संकलन मेरे द्वारा किया गया हैं। महोपाध्यायजी के स्वर्गारोहण द्विशताब्दी के अवसर पर उनके पवित्र चरणों में भावों के सुंदर सुमनों की अंजलियाँ सादर समर्पित हैं।