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रस के पांच प्रकार - तीखा (Pungent), कटु या कड़वा (Bitter), कसैला (Astringent), खट्टा या आम्ल (Sour), मीठा (Sweet) स्पर्श के आठ प्रकार है, इनके चार वर्ग हैं।
शीत(Cold), व उष्ण (Hot). स्निग्ध (Positive Charge or Smooth) व रूक्ष (Negative Charge or Rough) मृदु (Soft), व कठोर या कर्कश (Hard),
भारी (Heavy), व हल्का (Light) भगवती सूत्र में इन गुणों की विद्यमानता एवं अविद्यमानता के आधार पर द्रव्यों के चार भेद बताए गये हैं:
1. वह द्रव्य जिसमें एक वर्ण, एक गंध, एक रस और दो स्पर्श होते हैं। 2. वह द्रव्य जिसमें पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श होते हैं। 3. वह द्रव्य जिसमें पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और आठ स्पर्श होते हैं। 4. वे द्रव्य जिनमें ये कोई भी नहीं होते - इनमें अरूपी द्रव्यों का समावेश होता है। इसके आधार पर पुद्गल के तीन वर्गीकरण होते हैं। द्विस्पर्शी परमाणु चतुःस्पर्शीः सूक्ष्म स्कंध अष्टस्पर्शी : बादर स्कंध
चतुः स्पर्शी स्कंध सूक्ष्म परिणति वाले होते हैं। वे अनंत प्रदेशी होने पर भी इंन्द्रियग्राह्य नहीं होते हैं। इनमें स्निग्ध, रूक्ष, शीत और उष्ण ये चार स्पर्श पाए जाते हैं।
पुद्गल के चार भेद होते हैं अर्थात् पुद्गल के भेद संघात की क्रिया चार प्रकार से होती है। 1. स्कंध - अनेक परमाणुओं के पिण्ड को स्कंध कहते हैं। 2. स्कंध देश - स्कंध के किसी कल्पित भाग को स्कंध देश कहते हैं। 3. प्रदेश - स्कंध के निरंश अंश (अविभाज्य अंश) को प्रदेश कहते हैं। 4. परमाणु - स्कंध से पृथक हुए निरंश भाग को परमाणु कहते हैं।
न चार भेदों मे मुख्य भेद तो स्कंध और परमाणु ही है। इन स्कंध और परमाणु की उत्पत्ति तीन प्रकार से होती है - भेद से, संघात से तथा भेद और संघात दोनों से। भेद - अंतरंग और बहिरंग इन दोनों प्रकार के निमित्तों से संहत स्कंधो के विदारण को भेद कहते हैं। संघात :- भिन्न-भिन्न हुए पदार्थों के बंध होकर एक हो जाने को संघात कहते हैं। भेद-संघात-दो परमाणुओं के स्कंध से दो प्रदेशवाला स्कंध उत्पन्न होता है। दो प्रदेश वाले स्कंध और परमाणु के संघात से या तीन परमाणुओं के संघात से तीन प्रदेशवाला स्कंध उत्पन्न होता है। इस प्रकार संख्यात, असंख्यात, अनंतानंत परमाणुओं के संघात से उतने-उतने प्रदेशों वाले स्कंध उत्पन्न होते रहते हैं। इन्हीं संख्यात आदि परमाणु वाले स्कंधो के भेद से दो प्रदेश वाले स्कंध तक होते हैं। इस प्रकार एक समय में होने वाले भेद और संघात इन दोनों से दो प्रदेश वाले आदि स्कंध होते रहते हैं। तात्पर्य यह है कि जब अन्य स्कंध से भेद होता है और अन्य का संघात तब एक साथ भेद ओर संघात इन दोनो से स्कंध की उत्पत्ति होती है। परमाणु की उत्पत्ति तो भेद से ही होती है।
भगवती सूत्र में द्विप्रदेशी आदि स्कंधों में पाए जाने वाले वर्ण आदि भंगों का विस्तृत निरूपण किया गया है। जैसे द्विप्रदेशी स्कंध-स्यात् एक वर्ण, स्यात दो वर्ण। स्यात् एक गंध, स्यात् दो गंध। स्यात् एक
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