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________________ आसाढ़े पुण्णिमाए ठिया डगलादीयं गेहंति पज्जोसवणाकप्पं च कहेंति।" बृहत्कल्प भाष्य में भी ऐसा ही पाठ है- 'आसाढ़ी पुण्णिमोसरणं', 4284 । क्षेमकीर्ति उक्त भाष्य की अपनी टीका में आषाढ़ मास की समाप्ति पर कल्पसूत्र के पठन का एवं पर्युषण का स्पष्ट उल्लेख करते है-"आषाढ़ शुद्ध दशम्यामेव वर्षाक्षेत्रे स्थितास्ततस्तेषां पंचरात्रेण डगलादौ गृहीते पर्युषणाकल्पे च कथिते आषाढ़पूर्णिमायां 'समवसरणं' पर्युषणं भवति।" ___ "आषाढ़ पूर्णिमायां स्थिताः पंचाह यावद् दिवा संस्तारक डगलादि गृह्णन्ति रात्रौ च पर्युषणाकल्पं (कल्पसूत्र) कथयंति।" कल्पसूत्र पर्युषणा कल्पसूत्र है, वह वर्षाकाल से सम्बन्धित स्थविर कल्प का निरूपण करता है, अतः कल्पसूत्र का पाठ, बृहत्कल्प भाष्यं एवं निशीथ चूर्णि आदि के अनुसार वर्षावास शुरू होने पर ही करना चाहिए, यह स्वयं कल्पसूत्र के उपसंहार सूत्र से भी प्रमाणित होता है “इच्चेइयं संवच्छरियं थेरकप्पं..." इत्येवं पूर्वोक्तं सांवत्सरिकं-वर्षारात्रिकं स्थविरकल्पम्।" -कल्पसूत्र कल्पलता, व्या. 9 तं पूर्वोपदर्शितं सांवत्सरिकं = वर्षारात्रिकम् ।" -कल्पसूत्र सुबोधिका, व्या. 9 आज का पर्युषणकाल, कभी अपवाद था विधिनिषेधों की क्रियाकाण्ड सम्बन्धी परम्पराएँ देशकालानुसार परिवर्तित होती रहती हैं। यहाँ तक परिवर्तित होती रहती हैं कि विधान के स्थान में निषेध , और निषेध के स्थान में विधान चालू हो जाता है। उत्सर्ग, जो एक सामान्य रूप से हमेशा किया जाने वाला आचार है, वह अपवाद हो जाता है, और अपवाद, जो एक विशेष परिस्थिति में कभी-कभार किया जाने वाला आचार है, वह उत्सर्ग का, सामान्य पक्ष का रूप ले लेता है। पर्युषण के कालसंबंधी विधान की भी यही स्थिति हुई है। प्राचीनकाल में आषाढ़ पूर्णिमा को पर्युषण होता था, वह उत्सर्ग था, एक सामान्य विधान था। संयमी भिक्षु को वर्षावास के आरंभ में ही यदि वर्षावास की स्थिति के योग्य अनुकूल क्षेत्र मिल जाता है, वर्षा होने पर साधू के निमित्त उसे व्यवस्थित एवं पर्युषण : एक ऐतिहासिक समीक्षा 115 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.212404
Book TitleParyushan Ek Aetihasik Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherZ_Pragna_se_Dharm_ki_Samiksha_Part_02_003409_HR.pdf
Publication Year2009
Total Pages31
LanguageHindi
ClassificationArticle, 0_not_categorized, & Paryushan
File Size1 MB
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