________________ -12 - 78.. लेखक का अभिमत न भी हो तो भी परंपरागत दो नामों में अधिक लोकप्रिय नाम स्वीकृत होगा। दहमुहवह या रावण वध के स्थान पर सेतुबन्ध एवं व्याख्या - प्राप्ति के स्थान पर भगवती अधिक जाने जाते हैं। 79. संदर्भ के लिए आगम ग्रन्थों का विभाजन अन्यान्य प्रकार किया गया है। सूत्रों के क्रम में भी भिन्नता पायी जाती है। इस कारण एक प्रति में से दूसरी प्रति में अवतरण पाना असम्भव सा होता है तथा टिीकाओं में संदर्भ भी नहीं पाये जाते / अतः ग्रन्थकताओं द्वारा निर्देशित विभाजन का स्वीकार ही सुविधाजनक होगा और तदनुसार सन्दर्भ भी, बशर्ते कि सन्दर्भ तीन या चार स्थानों से अधिक न हों। अनेक स्थानों पर दोनों प्रकारो का समन्वय उचित होगा। उस अवस्थामें उनमें से एक गोल कोष्टक में दिया जायेगा। द्विअंकी संदर्थ अरेबिक में, तीन अंकी रोसन में तथा चार अंकी कैपिटल रोमन में दिए जागे। शुध्दीकरण (दुरुस्ती) 81. पूर्व निर्मित कोशों में अशुध्दिया या गलत अर्थ हो तो, उनकी ओर ध्यान आकर्षित करें क्या ? 82. अवतरण शुध्दिी के असंख्य स्थान पाये जायेंगे। यह विश घिद सीधी की जाए या उसका निर्देश किया जाए 1 83. पूर्वर चित कोशों में से प्राप्त शब्द या अर्थ सिध्द न होता हो तो उसकी उपेक्षा करें या चौकोन कोष्टक में प्रश्न चिहन के साथ दिया जाए 1 इस प्रश्नावली में अनुल्लिखित किन्तु आपकी राय में कोश को अधिक उपयुक्त बना सके ऐसे सझाव भी अवश्य प्रेषित करें।