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- ११ - यादि शब्द एक ही तो उपभाजाएँ एकत्रित की जाए? यादि मय, मग, मद आदि स्वतन्त्र रूपले दिये जाएँ १ तो मअ, सय, मउ का क्या किया जाए ? यदि स्वतंत्र रूप से अन्तर्भाव करें तो अवतरण भी स्वतन्त्र रूपसे देने होगे और अथों की पुनरुक्ति होगी।
-ग्रन्थ
७२.. कृपया ऐसे ग्रन्थों के नाम सूचित करें,
जिनमें सूचि नहीं है, फिर भी कोश में
जिनके अवतरण लेना आवश्यक हो ? ७३.. परिपाटी के अनुसार आगम ग्रन्थों त हित
सभी प्राकृत ग्रन्थों के नाम संस्कृत में दिये गए है। फिर भी कछपाकत ग्रन्थ ऐसे हैं। जिनके अधिकृत प्राकृत नाम वैवर नहीं है। तो क्या हम उनके लिए प्राकत नाम तैयार. करें ? अथवा प्राकृत कृति होना सूचित करते हु
हुए उनके संस्कृत नाम ही है देंश . ७४. संस्कृत एवं प्राकृत दोनों नाम देना क्या
आवश्यक है ? यदि नहीं, तो कौन से नाम
प्रयुक्त करें ? ७५. ग्रन्धों के नामों के बारे में निम्न योजना
के विषय में आपकी क्या राय है १ अ. आगम ग्रन्थों के सिर्फ प्राकृत नाम देना ब. संपूर्णतया प्राकृत नियुक्तिओं, चूणिओं
एवं भाषा के नाम देना क.. अन्य सभी ग्रन्थों के संस्कृत नाम देना
(ग्रन्थ प्राकृत होने का सूचित करते हुए) ७६.. नाटकों के नाम संस्कृत में ही दिए जायेंगे
तथा तट्टकों के शीर्षक भी संस्कृत में दिए जायेगे (मात्र वे सट्टक होना सूचित किया जायेगा) आधानिक जमाने में जिनके नाम दिए गये हैं. उनके बारे में क्या किया जाए १ उदा.- मल रयणावली का देशी नाम माला, लेखकने । दिए जिणधम्मप्प डिबोह का कुमारपाल - प्रतिबोधा
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