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नाभि की ऊर्जा से ही सब कुछ पाता रहता है, उसको खाना पीना न मिलने से उसके शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, इसी प्रकार भगवान महावीर ने जब सारी ऊर्जा को सीधे स्टोर कर लिया तो फिर उनके शरीर में कमजोरी कैसे आ सकती थी?
शरीर में अगर ऊर्जा की कमी होती है तो वहाँ आसन भी विचलित हो जाता है। आपको जो कमजोरी आती है, बीमारी आती है वह इसीलिए तो आती है कि जीवन के जो आवश्यक तत्व हैं वे इस बीमारी में कम हो जाते हैं। उन आवश्यक तत्वों के कम होने पर ही शरीर में ये सब बातें आती हैं।
इसलिए कहा कि जब ऊर्जा की कमी नहीं होती तो फिर शरीर कृप नहीं होता । शरीर थकता नहीं है एक बात । अब दूसरी बात यह है कि हमारे । मस्तिष्क के अन्दर ग्लैन्ड्स हैं जिन्हें योग में चक्र के नाम से कहा सहस्त्रार।
उनसे जो रस झरता है वह अगर पेट में पहुंच जाय तो नष्ट हो जाता है। उसकी अपनी साधना है, वह साधना जो होती है वह ध्यान से होती है। यदि ध्यान के बाद वह शरीर में रस पूरे रूप में पहुंचता है तो बुढ़ापा नहीं आता। __ क्या कारण है कि आज कल छोटे-छोटे बच्चों के भी बाल सफेद हो जाते हैं ? भगवान महावीर तो ७२ वर्ष की आयु के हो गये थे पर उनके बाल अन्त तक सफेद नहीं हये थे। तो बुढापा किन कारणों से आता ? इस कारण कि जैसे-जैसे चिन्तायें आती जाती हैं वैसे ही वैसे पेट काम करता है। बचपन में कुछ हारमोन्स काम करते हैं जवानी में और काम करते हैं और बुढ़ापा में और हारमोन्स काम करते हैं। कोई व्यक्ति बुढ़ापे में भी अगर चिन्तायें न रखे तो उसके बाल सफेद नहीं हो सकते । यह शरीर का तरीका है। वह योग से वैसा रखा जा सकता है जिससे कि बुढ़ापा न आये।
तीसरी वात-- भगवान महावीर ने सस्थास के लेते ही न अपना कोई गुरु बनाया। न किसी से कोई ग्रन्थ पढ़ा लिखा और न किसी से उन्होंने तत्वचर्चा की। बारह वर्ष तक उन्होंने जो तपश्चरण किया वह भी हमारे लिये कोई महत्वपूर्ण बात नहीं है। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि उनको सिद्धि कैसे हुई । सिद्धि होना महत्वपूर्ण बात नहीं किन्तु सिद्धि कैसे हो यह महत्वपूर्ण बात है। किस विधि से उनको सिद्धि हुई उस विधि को हम अपना सकें यह महत्वपूर्ण बात है।
तो उन्होंने हमको क्या उपदेश दिया यह कोई हमारे लिये महत्व की बात नहीं। किन्तु वे बारह वर्ष तक कैसे जिये, कैसे रहे, यह हमारे लिये महत्त्वपूर्ण