SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ / 632 उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ / 6.0.094boor रात्रि भोजन के घातक परिणाम 200000 5600.000.00 20000 66.0.60 P390 DO0.000000000 S GS सरोवर में खिलते कमल को देखिये-जब सूर्य की कोमल किरणों का स्पर्श और प्रकाश मिलता है तभी वह खिलता है, सूर्यास्त होते ही उसकी विकसित पंखुड़ियाँ अपने आप सिकुड़ जाती हैं। सूर्यास्त होने पर फूल मुझ जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सूर्यास्त होने पर हृदय कमल तथा नाभिकमल मुझ जाता है। संकुचित हो जाता है, और उदर में गया हुआ भोजन पचने में बहुत कठिन होता है। तोते, चिड़िया आदि पक्षियों को देखिये-उषा की लाली चमकने पर चहक-चहक कर एक दूसरे को जगाते हैं, और सूर्य की किरणें धरती पर फैलने के पश्चात् चुग्गा-दाना की खोज में आकाश में उड़ते हुए दूर-दूर तक चले जाते हैं, किन्तु संध्या होते होते वे दिनभर उड़ने वाले पक्षी अपने-अपने घोंसलों में लौट आते हैं। रात का अँधेरा छाने से पहले पहले वे अपने घोंसलों में घुस जाते हैं। और फिर रातभर कुछ खाना नहीं, पीना नहीं। शान्ति के साथ विश्राम करते हैं। प्रकृति के नियम सभी के लिए समान हैं। किन्तु मनुष्य सदा ही प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ और उसके नियमों का मजाक करता रहा है। परिणाम स्वरूप वह आधि, व्याधि, रोग, पीड़ा और संकटों से घिरता जाता है। आज संसार के प्रायः सभी स्वास्थ्य विशेषज्ञ यह मानने लगे हैं कि मनुष्य को सूर्य प्रकाश में ही अपना भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए। सूर्य की ऊर्जा/ऊष्मा से भोजन ठीक से पचता है। सूर्यास्त के बाद पाचन क्रिया कमजोर पड़ जाती है, जठराग्नि मंद हो जाती है, अतः रात में किया हुआ भोजन दुष्पाच्य होता है, उससे अजीर्ण, कब्ज गैस आदि रोग पैदा होते हैं। रात्रि भोजन से आरोग्य बिगड़ता है। आलस्य बढ़ता है। काम वासना बढ़ती है। शरीर में मुटापा, (चर्बी) कोलस्टोरल आदि बढ़ते हैं। माणि भोजमा भने रात में आप चाहे जितना प्रकाश कर लेवें, वह आपके शरीर व पाचन संस्थान को ऊष्मा नहीं दे सकता। बिजली की ऊष्मा से कभी भी खाया हुआ भोजन हजम नहीं हो सकता। जैन सूत्रों में बताया है-ऐसे बहुत से सूक्ष्म जीव हैं, उड़ने वाले कीट पतंग हैं, जो आँखों से दिखाई नहीं देते किन्तु भोजन में आकर गिर जाते हैं और वे हमारे उदर में चले जाते हैं। उन जहरीले कीट पतंगों के कारण शरीर में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। योगशास्त्रकार आचार्य हेमचन्द्र ने कहा है- रात में भोजन करने से भोजन के साथ जू आ जाने से जलोदर, मक्खी आ जाने से उल्टी, चींटी (कीड़ें) आने से बुद्धिमंदता, मकड़ी आने से कुष्ट (महा कोढ़) होता है। कोई कांटा आदि आ जाने से तालु में छेद हो जाता है। मच्छर आने से ज्वर, विषैला जन्तु आने से जहर-परिणाम स्वरूप मृत्यु और कैंसर आदि रोग होते हैं। देखिये संलग्न चित्र TORGY भरेकानिक्ष कासार. बसलमदन Hebeo प्रपरीपाटीबालाराम MAR कोला सी -उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि के प्रवचन ('रात्रि भोजन के घातक और संघातक परिणाम' से)
SR No.212252
Book TitleSwasthya Samaj ka Adhar Sadachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni Shastri
PublisherZ_Nahta_Bandhu_Abhinandan_Granth_012007.pdf
Publication Year
Total Pages3
LanguageHindi
ClassificationArticle & Conduct
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy