________________ -चतीन्द्रसूरि स्मारकग्रन्य - जैन दर्शद (67) वही. 1/22 (82) सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र. 1/28 (68) वही. 1/22 (83) तद्दन्तभागेमनःपर्यायस्य। वही-१/२९. (69) देसोही, परमोही, सव्वोहि ति य तिघा ओही। (84) सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र-१/३०. गोम्मटसार जीवकाण्ड 372 श्रीपरमश्रुत प्रभावक मंडल (85) नन्दीसूत्र-३ श्रीमद् राजचंद्र आश्रम, अगास वि.सं. 2041 (86) एगन्तेण परोक्खं लिंगिय मोहाइयं च पच्चक्खं। इंद्रिय (70) गोम्मटसार, जीवकांड - 376 मणोमवं जं तं संववहार पच्चक्खं।। विशेषावश्यकभाष्य (71) आवश्यकनियुक्ति श्री भेरूलाल कन्हैयालाल कोठारी गा. 95. धार्मिक ट्रस्ट मुंबई, वि.सं. 2038, 26-28.76. (87) (अ) तत्र सांव्यावहारिक इन्द्रियानिन्द्रियम् प्रत्यक्षं। (72) विशेषावश्यकभाष्य, गा. 578 लघीयस्त्रय-४ (73) सभाष्य तत्त्वार्थाधिगमसूत्र 1/24, पृ. 42 (ब) मुख्यसांव्यवहारिकभेदेन द्वैविध्यं प्रत्यक्षस्य .... प्रमाण (74) आहारसरीरिंदियपज्जत्ती आणपाणभास माणो। गोम्मटसार मीमांसा-१/१४ जीवकाण्ड 118. (स) प्रत्यक्षं द्विविधं-सांव्यवहारिकं पारमार्थिकं चेति। जैन (75) आवश्यकनियुक्ति-७६। तर्कभाषा, सम्पा. पं. सुखलालजी संघवी, सरस्वती पुस्तक (76) नन्दीसूत्र (नन्दीसूत्र अनुयोगदाराई) 23-25. भंडार, अहमदाबाद 1993, पृ. 4 (88) एतच्च द्विविधं इंद्रियजम, अनिन्द्रियजं च। जैनतर्कभाषा. (77) ऋजुविपुलमती मनःपर्यायः। सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र पृ.५ (78) गोम्मटसार-जीवकाण्ड-४४०. (89) सभाष्यतत्त्वार्थाधि. 1/14. (79) सर्वार्थसिद्धि 1/9, तत्त्वार्थराजवार्तिक-१.२६. (90) अवग्रहेहापायधारणा भेदाच्चतुर्विधम्-जैनतर्कभाषा-पृ. 6. (91) प्रमाणनयतत्त्वालोक-२.८ (80) विशेषावश्यकभाष्य-८४ (92) स्वोत्पत्तावात्मव्यापारमात्रापेक्षं पारमार्थिक। जैनतर्कभाषा-पृ. 291 / (81) सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र-१/२६. 1/24 arordroinod-orbrotrowonidiromanimoombridwo[38 r ordNGrodrowdnidrord-66rdnanbarodnirdwordwar Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org