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शाकाहारी आहारों से ऊर्जा २८३ सारणी ३. प्रौढ़ों के लिये प्रस्तावित दुग्ध-शाकाहारी आहार भा० चि० अ० ५०, १९८०
पार्क और गोपालन परिमाण कं०
परिमाण के० मूल्य १३४० १.२०
४००
१६०० ०.२० ४० १६० ०.३०
०.५०
०.५० __०.१०
०.१५ ७५ २५ ०.२० ७५ ७५ ०.१५
३० १५ ०.१५ १५० ९५ ०.७५ २०० १२० १.००
३१५ ०.७५ ८७० ग्राम २६६५ ० ३.८९ १०६५ २०५० के० ४.६०
आहार, जाति १. अन्न, ग्राम २. चीनी, गुड़ ३. दाल ४. मूंगसली ५. पर्तदाल शाक ६. अन्य शाक ७. कन्दमूल ८. फल ९. दूध १०.धी तेल ११. योग
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*:::33.
०.१५
०१०
|
8
३५
२%
४%
७%
सारणी ४. विभिन्न प्रस्तावित भोजनों में ऊर्जा वितरण आहार, जाति
सैद्धान्तिक, सारणी २ भा० चि० अ० ५० पार्क|गोपालन जैन १. कार्बोहाइड्रेट
६३% ६५% ६०% २. वसायें
२८% १५% १७% १४.५% ३. प्रोटीन
८% ६%
२०% ४. शाक/फल आदि द्वारा १९८० में प्रस्तावित आहार ऊर्जात्मक दृष्टि से ठीक है पर इसमें परम्परागत शाकाहार की अपूर्णता के पूरक के रूप में फल और फलियां समाहित नहीं हैं। सारणी ४ से यह भी स्पष्ट है कि इसका ऊर्जा-वितरण भी संतोष जनक नहीं है।
इसमें खनिज भी कम हैं। पार्क ने गोपालन'' का अनुसरण कर इन दोनों ही दिशाओं में सुधार किया है। इस लेखक ने भी सारणी ५ में एक आहार योजना सुझाई है। यह न केवल मितव्ययो ही है, अपितु यह आहार के सभी घटकों की सन्तोषजनक रूप से पूर्ति करती है। यह आधारभूत सात घटकों को पूर्ण मितव्ययिता के रूप में समाहित करती है। यदि इसमें १०% श्रम व्यय भी जोड़ा जावे, तब भी यह मितव्ययी रहेगी। इस योजना का पूर्ण विश्लेषण सारणी ५ में दिया गया है। यह स्पष्ट है कि शाकाहारी खाद्य पूर्णतः पोषक होते हैं । विशेष आवश्यकता के अनुरूप इसके अन्न और फलियों की मात्रा में परिवर्तित कर इसे संवर्वित किया जा सकता है ।
दुग्ध-शाकाहारी भोजन से ऊर्जा और पोषक तत्वों को पर्याप्त पूर्ति का तथ्य अब निर्विवाद प्रमाणित हो चुका है। फिर मो, पूर्व और पश्चिम इस आहार-तन्त्र को और भी प्रबलित करने का प्रयत्न कर रहे हैं। वे सोयाबीन,
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