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________________ महावीर युगीन काल डॉ. एस. एम. पहाड़िया भगवान महावीर का काल पुनर्जागरण का क्रांतिकारी युग था । पुरानी मान्यताएं गिर रही थीं और नई मान्यताएं, नई चेतना, नये विचार जन्म ले रहे थे। जीवन के हर क्षेत्र में परिवर्तन दृष्टिगोचर हो रहा था । राजनीति के क्षेत्र में सुसंगठित राज्य बन रहे थे। राजा और उसके कार्यों का महत्व बढ़ रहा था। सामाजिक क्षेत्र में ब्राह्मणों की प्रतिष्ठा को धक्का लगा था और संयुक्त परिवार प्रथा पनप रही थी। गोत्र और प्रवर के अस्तित्व में आने से नियोग प्रथा का अन्त हो गया था । आर्थिक क्षेत्र में उद्योग व्यापार एवं व्यवसायों में वृद्धि हो रही थी। सिक्कों का प्रचलन बढ़ रहा था और लौह धातु का अधिकाधिक उपयोग होने लगा था। धर्म के क्षेत्र में विश्वव्यापी क्रांति के लक्षण दृष्टिगोचर हो रहे थे। कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई, उत्तर के काले चमकीले पात्र उस युग की विशेषता थी। राजनीतिक परिस्थितियाँ उस काल में सोलह बड़े राज्य थे जो "सोलह महाजनपद" नाम से जाने जाते थे। इन राज्यों की निश्चित सीमाएं थी और उनमें राजतन्त्र एवं गणतन्त्र दोनों का समावेश था। छोटे गणतन्त्र स्वतन्त्र या अर्द्ध स्वतन्त्र वंशों, जैसे कपिलवस्तु के शाक्य, देवदाह व रामगाम के कोलिया, सुमसुमारा पहाड़ियों के भग्ग, कलाकप्पा के बुलिस, केशपुट के कालमा एवं पिप्पलीवान के मौर्यों द्वारा शासित थे। साधारणतया राजा क्षत्रिय होते थे । यद्यपि राजा निरंकुश होता था फिर भी उसे दस राज्य धर्मों का पालन करना पड़ता था । जीवन में नैतिकता का पालन उन दस धर्मों में एक धर्म था। राजा का मुख्य कार्य अपने राज्य की बाहरी और भीतरी संकटों से रक्षा करना था । राजा वंश परंपरागत होता था । राजा का ज्येष्ठपुत्र "उपराजा" कहलाता था तथा सेनापति राजा का संबंधी होता था। राजा की सहायता के लिए एक मंत्री परिषद होती थी जिसमें साधारणतया पांच सदस्य होते थे जो "अमाच्छा" कहलाते थे। प्रान्तीय शासन लगभग स्वतन्त्र सा ही था। ग्राम शासन में 'ग्राम भोजक' का विशेष स्थान था । न्याय के क्षेत्र में राज्य सर्वोपरि था परन्तु न्याय मंत्री उसकी सहायता करता था और वह "विनिच्छायमाच्छा" कहलाता था। सैनिक संगठन अच्छा था। सेना में रथ, हाथी, अश्वारोही एवं पैदल सैनिक होते थे । गणतन्त्र, पश्चिम में स्पार्टा, एथेन्स, रोम और मध्यकालीन वेनिस के गणतन्त्र के समान थे। इनकी शासन व्यवस्था की जानकारी हमें बौद्ध जातकों से प्राप्त होती है। बुद्ध ने मगध के राजा के महामंत्री वर्षकार को जो सात उत्तम बातें बतलाई थीं उन्हें शासन के नीति निर्धारक तत्व माने जा सकते हैं वे इस प्रकार हैं:-- १. समय-समय पर पूरी जन-सभाओं को आमन्त्रित करना २. मिलजुल कर मिलना, बैठना एवं कार्य करना। ३. स्थापित व्यवस्था के प्रतिकूल नियम नहीं बनाना और प्रच लित नियमों का निरसन नहीं करना। ४. वृद्धजनों का सम्मान, सत्कार करना, उन्हें मान्यता देना एवं उनका भरण पोषण करना । ५. शक्ति द्वारा या अपहरण करके महिलाओं एवं बालिकाओं को बन्द नहीं करना । १२० राजेन्द्र-ज्योति Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211690
Book TitleMahavir Yugin Kal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorS M Pahadiya
PublisherZ_Rajendrasuri_Janma_Sardh_Shatabdi_Granth_012039.pdf
Publication Year1977
Total Pages3
LanguageHindi
ClassificationArticle & Society
File Size501 KB
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