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- यतीन्द्र सूरिस्मारकग्रन्थ - जैन-साधना एवं आचार है, पर वह मंत्र में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दों के समरूप शब्दों सारणी - ५ : णमोकार मंत्र के अंग्रेजी-अनुवाद की की विविधता के कारण अंग्रेजी-मंत्र नहीं माना जा सकता। साधकता का विवरण - लेखक का विचार है कि जब मूल-मंत्र एक है, तो उसका आ धन,आशा आ धन,आशा आ धन,आश आ धन,आशा . भाषान्तरण भी एक ही शब्दावली में होना चाहिए। लेखक ने
. इ मुटुकारीसाधक इ मृदुकारीसाधक इ मुटुकारीसाधक इ मुटुकारीसाधक अंग्रेजी की सरल शब्दावली का उपयोग कर इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयत्न किया है कि अंग्रेजी में मंत्र की साधक-क्षमता ब विघ्न-विनाश ब विघ्न-विनाश ब विन-विनाश ब विघ्न विनाश कैसी होगी? सारणी-५ से पता चलता है कि अंग्रेजी में अनूदित ओ अनुदात्त ओ अनुदात्त ओ अनुदात्त ओ अनुदात्त मंत्र का सामर्थ्य संस्कृत-प्राकृत मंत्रों की तुलना में प्रायः ६० ट अति ट अशति ट अतिट अति प्रतिशत ही आता है। इसका कारण सम्भवतः यह है कि अंग्रेजी
ऊ विघटन ऊ विघटन ऊ विघटन ऊ विघटन में 'ट' (टी), ओ आदि वर्गों के कारण तथा णकार के समान प्रशस्त वर्णों के अभाव के कारण उसमें व्यक्त मंत्रों की वर्णित ए निश्चल स सर्वसाधक म सिद्धि,संतान प सहयोगी साधक-क्षमता में कमी होती है। इस अनुवाद में कुछ शब्दों को न् आत्मसिद्धि आ धन, आशा इ मुटुकारीसाधक र शक्ति, वृद्ध बदलकर (जैसे 'आई बो' के बदले 'बोइंग्स') साधक क्षमता में ल लक्ष्मी कल्याण ल लक्ष्मी, कल्याण न आत्मसिद्धि ई अल्पशक्ति कुछ सुधार सम्भव है, पर इच्छित सामर्थ्य कठिन ही प्रतीत होता .
आ धन,आशा व विघ्न विनाश इ मृदुकारीसाधक स सर्वसाधक है। फलतः यह कमी मंत्र-जप की संख्या को बढ़ाकर ही पूरी की जा सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस मंत्र के समान ही इ मुटुकारीसाधक ए निश्चलस निश्चल ए सर्वसाधक अन्य मंत्रों के अंग्रेजी-अनुवाद की साधक-क्षमता भी इसीट अति ट अति ट अशांति प सहयोगी प्रकार की होगी।
ए निश्चल ए निश्चल र शक्ति, वृद्धि र शक्ति, वृद्धि सारणी -२ : णमोकार मंत्र की साधकता का विवरण न् आत्म सिद्धि ड शति-विरोधी स सर्वसाधक स सर्वसाधक ण शति, शसि ण शांति,शक्ति ण शति,शक्ति ण शति, शक्ति उ शति विरोधी स सर्वसाधक म सिद्धि, संतान म सिद्धि, संतान म सिद्धि, संतान म सिद्धि,संतान सारणी - २ (अविरत) सारणी - ५ (अविरत) ओ अनुदात्त ओ अनुदात्त ओ अनुदात्त ओ अनुदात्त ण शांति, शक्ति
आ धन, आशा अ सर्वशक्ति स सर्वसाधक आ धन,आशा उ अद्भुत शक्ति म सिद्धि. संतान
मृदुकारी साधक र शक्ति, वृद्ध इ मृदुकारीसाधक य शांत, सिद्धि व विपत्ति-निवारक
ओ अनुदात्त
विघ्न-विनाश इ मूदुकारीसाधक द् आत्मशक्ति र शक्ति, वृद्ध ज् रोगनाश,सिद्धि
ल लक्ष्मी, कल्याण
अनुदात्त ह मंगलसाधक ध सहयेगी इ मूदुकारीसाधक झ शक्ति-संचार
ओ अनुदात्त
अशांति न् आत्म शक्ति आ धन, आशा य शक्ति, सिद्धि य शांत, सिद्धि
ए निश्चल
विघटन त सर्वसद्धि ण शति, शक्ति आ धन, आशा आ धन,आशा
स सर्वसाधक
धन, आशा आ धन, आशा म् सिद्धि, संतान ण शति, शक्ति ण शति, शक्ति व् विपत्ति-निवारक
ल लक्ष्मी, कल्याण ण शांत,शति म् सिद्धि, संतान म् सिद्धि,संतान व विपत्ति-निवारक
विपत्ति-निवारक म् सिद्धि,संतान
स सर्वसाधक
शक्ति, वृद्धि आ धन, आशा
ल लक्ष्मी, कल्याण
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