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________________ प्रो. डॉ. एल. डी. जोशी (i) (9) 'भड़लि वाक्य सुक्करवारि वादलि जो थावोरे जाय / बे काँटे नदिये सडें ने जल बंबारण थाय / / भोंडो मणि नो वो करे मनक नि हारण / वरे करतिका नकेतरे तो करे जगत कल्याण / / (iii) वरे नकेतर रोयणि रेले खाँकर पान / तो पाके होवन हरा धरति उपर धान / / कड़ा पड़े जए वरेइ वर माडतु थाय / थै जाय जो मावटु तरे लै इ जाय / / (v) तेतर वरणि वादलि ने काजल वरणि रेक / पवन पारिण साते पड़े थायं मिन ने मेक / / (vi) काबेरे ने कागला ने बोलें घुघोड़ / कण में पाके धान नो पड़े काल के ठोड़ // (vii) गाम में रोवें कुतरं ने सेम में रोवें हेंयाल / गाँट गोट बांदिलो नंक्कि पड़े काल / (viii) थाय उगमणि विजलि तो कोरो काड़े ताप / थाय प्रातमणि विजलि तो अन नो संताप / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211453
Book TitleBagad ke lok Sahitya ki Zankhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorL D Joshi
PublisherZ_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf
Publication Year1971
Total Pages22
LanguageHindi
ClassificationArticle & Literature
File Size2 MB
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