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वागड़ के लोक साहित्य की एक झांकी
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एक रूपालि श्रवसरा प्रावि उबि । बेनं लगन थे ग्यं । श्रवसरा के के मारे रेवा पाणि ना घाट उपर सात
माल नंं मेल मंदावो । भाइये तो मुद्रिका पाए मेल मांग्यु ने मेल तैयार थे ग्यु । बेजों सुक थकि रेवा लागं । एक दाड़ो पेलो तो पोपट तथा मनाड़ि ने लेन वन में फरवा ग्यो तो ने पेलि तलाव ने श्रारे नावा बेट नेवाल प्रोलिने कांगि येंम भुलि गै। सोनानि कांग में सोनेरि वाल जोइ ने राजा नो कंवीर केवा मांड्यो के तो आनेस । राज हट के बाल हट ते राजाए देम देस नि दुतिए बोलावि ने खबर कडावि । वे दुतिये पेला मेल नेंसे जाइ ने बेटि ने जोरट थकि रोवा मांडि- 'श्रमारे बोन प्रति तारे प्रमारा प्रादर भाव थाता ता अवे वउ ने भांणेज भाजि नो भावे नति पुसतं ।' पेलो आदमि पासो श्राव्यो तारे ने वीए वात करि के तमारे माइए श्रावि हैं ने मेल नेंसे बेइ ने ककलाट करें सें । पेलोके के मने तो मारे कोय श्राइ माइ नि खबर नति । श्रतो कोक ठग विद्या करवा वालि दुति राँडे सें परण पेलि बाइ ने दया प्रावि एटले बे ने मेल में तेड़ावि । एक दाड़ो पेलो फेर बार ग्यो तारे दुति पुमें के वऊ मा मेल ने सब आलालिला एकदम सेरते थे गइ | तारे पेली के के सेसनागनि मुद्रिका थकि सब थ्यु से । दुत्ति के के आपण जो तो खरं के प्रति मुद्रिका केवि से । वऊ श्राजे तु मांगि लेजे पेलिए ने धरिण पाइ मुद्रिका माँगि एटले पेला ने वेम पड्यो ने आलवा नुं क्यु । पेलि खिजाइ गँ ने सुला ऊपर खाटलो डालि ने सुति । श्रा सब किमिया R दुत्तिए मालिति को पेले लासार थे ने मुद्रिका प्रालि । पेला ने आगो पासो थावा दे ने एक दुति के के देकं
।
वों मारे आँगलि में श्रावे के ज़रा जोवा तो दे । ग्रेटले बीए अलि दिदि ने तरत दुत्तिए क्यु के हे मुद्रिका श्री मेले सेतु मारे देस साल, एटले मेल ने परि ने सब अलोप थै ग्यँ । राजा ने सेर में जाइ ने वाइ ने मेलि पण बाइये क्यु के सो मैनं नुं मारे वरत से श्रेटले पुरस नुं मोडु नें जोवुं । पसे जेम को प्रेम करे । एक थंबिया मेल में बाइ रेवा लागि ने पंकिड़ ने दाणा सगाव वा में ने सूर्यनारण नि आरादना करवा में दाड़ो रातर कडवा लागि । श्रय पेलो श्राव्यो परण मेल के परि कोय नें दिक्यु एटले रोवा मांडयो । तारे पोपट के के / मने सिटि लकि आलो ते जे ओवे यं जाइ ने खबर काडि लावुं । पोपट उड़तो २ राजा ना सेर में प्रावी ने एक थंबिया मेल में सगो सगवा सब जनावरं भेगो जाइ ने बेटो । बिजें सब सगँ ने श्रा पोपट डलडल आँऊ पाडे इ जोइ ने बाइ ने करणे प्रावि तो सुड़ा ने गला में सिटि जोइ । सिटि लइने वांसि ने राजि थे तरत वलतु कागद लकि ने सुडा ने गले मांदि प्राल्यु । पासो पेला पाय श्राव्यो मनाइ न ने पोपट ने ले ने पेलो राजा न सेर श्राव्यो । मुद्रिका तो दुति श्राटे पोर ना मोंडा में स राकति ति । श्रेवा में प्रदर नि जान जाति 'ति । मनाड़िये उदरें ना वोर ने साइ लिदो नै सब नोंदर ने क्यु के दुत्ति नें मोंडा मेंइ मुद्रिका आणि आलो तो स वोर ने सुदो करू" । सब प्रदरे मेल में पेइ ग्यं ने सात मे माले सुतिति यं दुत्ति ने नाकोरा में एक प्रदरे पोंसड़ घालि एटले पेलि ने जोर नि सेंक प्रावि ने मोडा मेंइ मुद्रिका बारति पड़िगे । एकबिजु नोंदरु मुद्रिका मोंडा में साइ ने नाइ ग्युं ने जाइ नें मनाड़ि ने प्रालि एटले मनाड़िए वोर ने सोड़ि दिदो । मुद्रिका पेला ने मलि एटले प्रे क्यु के मुद्रिका या प्राकु मेल पासु मारि जोनि जगा ऊपर ले जाइ ने मेलि दे ने पोपट नै मनाड़ि ने लै ने इ मेल ने अडि उबो एटले सब जरण पास अतं यं श्रावि ग्यं । पोताना धणि ने जोइ ने परि खौब खुस थे ने सब जण खाइ पिने लेर करवा लागं !! सगा बापनो ए विसवा नें कर वो !!
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