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________________ अपनी विजय की स्मृति में तेजपाल ने वहां एक भव्य महल बनवाया और उस महल में अत्यन्त सुन्दर और कलात्मक २४ तीर्थंकरों का मंदिर निर्मित करवाया। वहां से वह न्यायप्रिय मंत्री तेजपाल रास्ते में दान की गंगा बहाते हुए (वटप्रद) बड़ौदा आया। यहां उसने जीर्ण हो गए पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया । बड़ौदा के पास अकोटा गांव में मंत्रीश्वर ने धर्म की अभिवृद्धि के लिए प्रथम तीर्थकर आदिनाथ का मंदिर बनवाया। वहां से वह मंत्री (दर्भावती) डभोई आया। यहां उसने स्वर्ण-कलशों से सुशोभित कैलाश पर्वत के समान पार्श्वनाथ भगवान का जिन मंदिर बनवाया। डभोई से वह पावागढ़ आया। पावागढ़ की पवित्रता और मनोहर वातावरण देखकर वह अत्यन्त आनंदित हुआ। उसने यहां पर सर्वतोभद्र नाम का जिन मंदिर निर्मित करवाया। वि.सं. १६६१ में रचे गए प्रबंध चिंतामणी (वस्तुपाल-तेजपाल प्रबंध) में इस बात का उल्लेख है कि वि.सं. १२८७ में जब तेजपाल ने शत्रुजय पर्वत पर नंदीश्वर का निर्माण करवाना प्रारंभ किया तब उसने कंटेलिया जाति के पत्थर के १६ खंभे पावक पहाड़ अर्थात् पावागढ़ से जलमार्ग द्वारा पालीताणा मंगवाए थे। जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के सोमसुन्दर सूरि के शिष्य भुवन सुन्दर सूरि हुए हैं। उन्होंने विभिन्न तीर्थों के अनेक स्तोत्रों की रचना की है। उसमें उन्होंने पावागढ़ तीर्थ के स्तोत्र की भी रचना की है। इस स्तोत्र में उन्होंने तीसरे तीर्थकर संभवनाथ भगवान की स्तुति की है। इसके सातवें पद का अन्तिम पद इस प्रकार है स्तुवे पावके भूधरे संभवं तम् ॥ पावागढ़ तीर्थ को शत्रुजय महातीर्थ के अवतार के रूप में वर्णन करते हुए उन्होंने पांचवें पद्य में कहा है-- स्थितं पुंडरीकाचलस्थावतारे, अखिल लक्ष्माधर श्रेणि श्रृंगार हारे। तृतीयं जिनं कुंददन्तं भदन्तं स्तुवे, पाव के भूधरे संभवं तम् ।। खंभात के निवासी मेघाशाह ने पावागढ़ के ऊपर संभवनाथ भगवान के जिन मंदिर में कालिकाल के विघ्नों का नाश करने वाली आठ देव कुलिकाओं का निर्माण करवाया था। पावकाचल श्रृंगार श्री संभव जिनालये। तेनाष्टौ देवकुलिका: कलिकालहता: कृताः । पावागढ़ तीर्थ की ऐतिहासिकता ४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211351
Book TitlePavagadh Tirth ki Aeitihasikta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagatchandrasuri
PublisherZ_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf
Publication Year
Total Pages5
LanguageHindi
ClassificationArticle & Tirth
File Size443 KB
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