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________________ 193 दिगम्बर जैन पुराण साहित्य विनयधर, श्रुतिगुप्त, ऋषिगुप्त, शिवगुप्त, मन्दरार्य, मित्रवर्य, बलदेव, बलमित्र, सिंहबल, वीरविद्, पद्मसेन, व्याघ्रहस्ति, नागहस्ति, जितदण्ड, नन्दिषेण, दीपसेन, धरसेन, धर्मसेन, सिंहसेन, नन्दिषेण, ईश्वरसेन, नन्दिषेण, अभयसेन, सिद्धसेन, अभयसेन, भीमसेन, जिनसेन, शान्तिषेण, जयसेन, अमितसेन, कीर्तिषेण और जिनसेन' / (हरिवंश के कर्ता) इसमें अमितसेन को पुन्नाट गण का अग्रणी तथा शत वर्ष जीवी बतलाया है। वीर निर्वाण से लोहाचार्य तक 683 वर्ष में 28 आचार्य बतलाये हैं। लोहाचार्य का अस्तित्व वि. सं. 213 तक अभिमत है और वि. सं. 840 तक हरिवंश के कर्ता जिनसेन का अस्तित्व सिद्ध है / इस तरह 627 वर्ष के अन्तराल में 31 आचार्यों का होना सुसंगत है। हरिवंश पुराण की रचना का प्रारम्भ वर्द्धमानपुर में हुआ और समाप्ति दोस्त्रटिका के शान्तिनाथ जिनालय में हुई / इसकी रचना शकसंवत 705 में हुई जिसका विक्रम संवत 840 होता है। 1. हरिवंश पुराण, सर्ग 66, श्लोक 22-23 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211165
Book TitleDigambar Jain Puran Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherZ_Acharya_Shantisagar_Janma_Shatabdi_Mahotsav_Smruti_Granth_012022.pdf
Publication Year
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationArticle & Literature
File Size874 KB
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