________________ 110 - अरुण प्रताप सिंह 1. कप्पसूत्त ( कल्पसूत्रं ) 2. बृहत्कल्पभाष्य, ( भद्रबाहु रचित ) 3. कप्पसूत्त ( बृहत्कल्पसूत्र ) 4. गच्छायार पइण्णयं (गच्छाचार) 5. ओघनियुक्ति ( वृत्ति ) 6. निशीथ सूत्र ( विशेष चूणि ) प्रथम भाग द्वितीय भाग तृतीय भाग . 7. मूलाचार ( प्रथम भाग) सन्दर्भ ग्रन्थ -प्राकृत भारती, जयपुर, 1977 / -- भाग तृतीय, जैन आत्मानन्द समा / भावनगर, 1936 / भाग चतुर्थ, जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर, 1938 / भाग पंचम, -सम्पादक-मुनि श्री कन्हैयालाल जी कमल, आगम अनुयोग प्रकाशन, बांकलीवास, सांडेराव, राजस्थान, 1977 / -रामजी दास किशोरचन्द्र जैन / मावसा मण्डी, पेप्स, 1951 / -भद्रबाहु कृत, आगमोदय समिति, 1919 / -जिनदासमहत्तर विरचित / सन्मति ज्ञान पीठ-आगरा 1958 / , ,, ,, 1957 / " "" , 19581 -वटकराचार्य विरचित, माणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला समिति, गिरगांव, बम्बई, वि० सं० 1 77 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org