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________________ 10. महागिरि 11. मुहस्ति 12. गुणसुन्दर 13. गुणसुन्दर - शेष 14. कालिक 15. स्कन्दिल 16. रेवतीमित्र 17. आर्य भंगु 18. बहुल 19. श्रीवत 20. स्वाति 21. हारि 22. श्वामायं 23. शाण्डिल्य आदि 24. भद्रगुप्त 25. श्री गुप्त 26. वजूस्वामी 215 - 30 वर्ष - 46 वर्ष - 32 वर्ष Jain Education International - 12 वर्ष - 40 वर्ष 38 वर्ष . 36 वर्ष -20 वर्ष = 111 वर्ष 580 वर्ष इस प्रकार महावीर निर्वाण के 581 वर्ष व्यतीत हुए। उसके बाद पुष्यमित्र और नाहड़ का राज्यकाल 24 वर्ष का रहा । तदनन्तर । (581+24=605 वर्ष बाद ) शक संवत् की उत्पत्ति हुई। आगे भ० महावीर निर्वाण के 980 वर्ष पूर्ण हो जाने पर महागिरि की परम्परा में उत्पन्न देवद्विगणि क्षमाश्रमण ने कल्पसूत्र की रचना की । 6. कल्पसूत्र स्थविरावली. 7. जबघवला, भाग-1, प्रस्तावना, पृ० 23-30. हरिवंशपुराण १०२ मौर्य वंश पुष्यमित्र ( 1 ) बलमित्र ( 2 ) भानुमित्र (1) नरवाहन ( 2 ) गर्दभिल्ल (3) शक ( 1 ) विक्रमादित्य ( 2 ) धर्मादित्य (3) भाइल For Private & Personal Use Only 215 - 108 वर्ष - 30 वर्ष - 60 वर्ष - 40 वर्ष - 13 वर्ष 4 वर्ष दिगम्बर परम्परानुसार जिस दिन म० महावीर का परिनिर्वाण हुआ, उसी दिन गौतम गणधर ने केवलज्ञान प्राप्त किया। गौतम के सिद्ध हो जाने पर सुधर्मा स्वामी केवली हुए सुधर्मा स्वामी के सिद्ध हो जाने पर जम्बूस्वामी अन्तिम केवली हुए । इन तीनों केवलियों का काल 62 वर्ष है। उनके बाद नन्दी नन्दिमित्र, अपराजिल, गोवर्धन और भद्रबाहु ये पाँच श्र ुतकेवली - 60 वर्ष 40 वर्ष - 11 वर्ष 581 वर्ष www.jainelibrary.org
SR No.210885
Book TitleJain Sangh aur Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherZ_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf
Publication Year
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationArticle & Jain Sangh
File Size2 MB
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