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पुरे वचनीयं पच्छ अवच पच्छा वचनीयं पुरे अवच । अधिचिणं ते विपरावत्तं । आरोपितो ते वादो । निग्गहितोसि चर वादप्यमोक्खाय; निष्पठेहि वा सचे पहोसी" ति । वयो वेव सो मजे निम्गण्ठे सु नातपुत्ति येसु वसति । *
आचार्य कालगणना
भगवान महावीर के निर्वाण के बाद दिगम्बर परम्परानुसार 62 वर्ष में क्रमश तीन केवली और 100 वर्ष में पाँच अतकेवली इस प्रकार हुए।
केवली
1. गौतम गणधर
- 12 वर्ष
2. सुधर्मा स्वामी (लोहार्य ) - 12 वर्ष
3. जम्बू स्वामी
- 38 वर्ष
श्रुतकेबली
1. विष्णुकुमार ( नन्दि )
2. नन्दिमित्र
3. अपराजित
4. गोवर्धन
5. भद्रबाहु
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62 वर्ष
- 14 वर्ष
- 16 वर्ष
- 22 वर्ष
- 19 वर्ष
- 29 वर्ष
100 वर्ष
इस प्रकार महावीर निर्वाण के 162 वर्ष ( 62 + 100 ) पर्यन्त केवली और धतकेवली रहें । श्वेताम्बर परम्परानुसार महावीर के जीवन काल में ही 9 गणवरों का निर्वाण हो गया था। मात्र इन्द्रभूति गौतम और आर्य सुधर्मा शेष रह गये थे। महावीर निर्वाण में उत्तरवर्ती आचार्यों की कालगणना स्थविरावली में इस प्रकार दी गई है
-
1. सुधर्मा
2. जम्बू
3. प्रभव
4. शप्पंभव
5. यशोभद्र
6. संभूतिविजय
7. भद्रबाहु
8. स्थूलभद्र
१००
- 20 वर्ष
- 44 वर्ष
11 वर्ष
- 23 वर्ष
- 50 वर्ष
8 वर्ष - 14 वर्ष
-45
-
यहाँ यह दृष्टव्य है कि जैन परम्परानुसार हेमचन्द्र ने 'परिशिष्ट पर्वन' में भगवान महावीर निर्वाण के 155 वर्ष बाद चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्यकाल बताया है | आचार्य हेमचन्द्र अवन्ती राजा पालक के राज्यकाल के 60 वर्षों की गणना को किसी कारणवश भूल गये थे। अर्थात् महावीर के निर्वाण (15560) 215 वर्ष बाद चन्द्रगुप्त का राज्याभिषेक हुआ होगा ।
2. सुत्तपिटक, मज्झिमनिकाय, सामगामसुत्तन्त दीधनिकाय, पथिकवस्य पासादिकसुत, संगीतिसुत्त
3.
घवला भाग 1, पु० 66, तिलोयपण्णसि, 4. 1482-84; जयचवला: भाग 1, पृ० 85, इन्द्र तावतार 72-78 नन्दिसंघीय प्राकृत पट्टावली जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग 1, किरण 4.
215 वर्ष
उक्त आचार्य कालगणना के अनुसार दिगम्बर पर - म्परा में भगवान महावीर निर्वाण के 12 वर्ष तक गौतम
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