________________ संदर्भ सूची डॉ० इंदरराज बैद 1. तत्त्वार्थ, सूत्र, विवेचन सुखलाल संघवी, 1/3 2. अधिगमोऽर्थावबोधः। यत्परोपदेशपूर्वं जीवाद्यधिगमनिमित्तं तदुत्तरम्। सर्वार्थसिद्धि 1/3/12 जैनसिद्धान्त दीपिका, 9/5 सम्यक्ज्ञानं प्रमाणं..। प्रमाण-परीक्षा, पृ०१ बाँका राजस्थान सर्वार्थसिद्धि, 1/10, 98/2 बाँकी पगड़ी, बाँकी मूळे, बाँकी जिसकी शान है, कषायपाहुड, 1/1/1, 27, 37, 6 बाँके जिसके युद्ध बाँकुरे, बाँका राजस्थान है। 7. न्यायदीपिका, 3/73/112 जिसकी गोदी का हर बालक ज्वालामुखी सरीखा है, अभिधेयं वस्तु यथावस्थितम योग जानीते, यथाज्ञानं चाभिद्यत्ते जिसकी हर नारी ने चलना अंगारों पर सीखा है। स आप्तः। वही 4/4 . जिसके पानी के आगे दुनिया का पानी फीका है। ऐसा गौरवधाम हिंद का अपना वंश स्थान है। 9. अनुयोगद्वार 458 अपना वंशस्थान तभी तो बाँका राजस्थान है।। 10. तत्त्वार्थ सूत्र, 1/10/12 विवेचनकर्ता पं० फूलचन्द खड़ी अभी तक उसी शान से दुर्गों की प्राचीर यहाँ, सिद्धान्त शास्त्री टूटी कितनी बार हारकर जुल्मों की शमशीर यहाँ, 11. जैन न्याय तर्कसंग्रह (यशोविजय), प्रमाण खण्ड। लेकिन अब तक रही सुनहरी ही इसकी तस्वीर यहाँ, 12. सर्वार्थसिद्धि, 1/33/141/2 भारत भर का बल विक्रम चिर विजयी इसकी आन है, 13. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, पृष्ठ 271 विजयी इसकी आन तभी तो बाँका राजस्थान है।। 14. सर्वार्थसिद्धि 9/25/443/4 यह पद्मिनियों की भूमि यहाँ का इतिहास निराला है, फूलों की है सेज आज तो कल जौहर की ज्वाला है, 15. सवार्थसिद्धि 9/25/443/4 सुधा समझकर मीराँ हँस पी जाती विष का प्याला है, 16. सवार्थसिद्धि 9/25/443/5 सीस काट देती क्षत्राणी ऐसा यहाँ विधान है, 17. तत्त्वार्थसूत्र 7/87 ऐसा यहाँ विधान तभी तो बाँधा राजस्थान है।। 18. जैन वाङ्मय में शिक्षा के तत्त्व, पृ० 120, डा० निशानन्द बलिदानों के फूल खिले हैं इसकी लोहित माटी में, शर्मा, प्रकाशक-प्राकृत, जैनशास्त्र और अहिंसा शोध खेल चुके हैं युद्ध बाँकुरे होली हल्दीघाटी में, संस्थान वैशाली (बिहार) 1988 अनन्य यहाँ के वीर बलि को जीने की परिपाटी में जीने-मरने का कुछ इसका न्यारा ही उनमान है, 19. कषायपाहुड (जयधवला) 1/9/11/7 न्यारा ही उनमान तभी तो बाँका राजस्थान है।। 20. जयधवला सहितं कषायपाहुड, चूर्णि, भाग-१, पृ० 11, धरा प्रतापी सिंहों की यह लाखों भामाशाहों की, द्वितीय दानी-बलिदानों बेटों की पन्ना-सी माताओं की, 21. विशेषावश्यक भाष्य, संपादक - डा० नथमल टांटिया, पृ० बसंधरा है पावन भावी भारत की आशाओं की, 168-169 सीधे सच्चे शब्दों में यह नन्हा हिन्दुस्तान है, 22. न्यायबिन्दु टीका 1/7/140/1 नन्हा हिन्दुस्तान तभी तो बाँका राजस्थान है।। अणुशक्ति की नूतन गंगा जहाँ हृदय में थी उतरी, राजधरित्री पोकरणी वह सदा रहेगी गर्व भरी, मारवाड़, अजमेर, उदयपुर, विश्व रम्य जयपुर नगरी रोमांचक भूखंड देश की इनके कौन समान है, इनके कौन समान तभी तो बाँका राजस्थान है।। चेन्नई 0 अष्टदशी / 1850 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org