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हाथोंमें आमोंके गुच्छे, नीचेवाले हाथमें फल, बाँयेसे बालक पकड़ा हुआ, दूसरा बालक दायीं ओर खड़ा है, ऊपर नेमिनाथकी ध्यानी लघु मूर्ति है । इसके पृष्ठ भागपर १२०३ सम्वत् लिखा है।
बिहारमें प्राप्त अम्बिकाकी मूर्तिके आभूषण और लटकती साड़ी उल्लेखनीय है। यह यक्षी आमोंसे लदे पेड़ के नीचे खड़ी है। बायें हाथसे छोटा पुत्र प्रियंकर पकड़ रखा है । द्वितीय पुत्र शुभंकर, जिसके दोनों हाथ खण्डित हैं, दाहिने हाथ खड़ा है । वाहन सिंह पद्मासनके पास बैठा है । यह मूर्ति कलाकी दृष्टिसे दशवीं शती (पालकला) की बनी मालूम पड़ती है । (चित्र ३)।
चित्र ३. अम्बिका
पाल, १०वीं शती, बिहार कर्नाटकसे दो समान अम्बिका मूर्तियाँ मिली हैं। दोनोंमें अम्बिका आमके वृक्ष के नीचे त्रिभंग मुद्रामें खड़ी हैं । दोनों मूर्तियोंमें इनका एक पुत्र दाँयी ओर सिंहपर बैठा है। दूसरा बाँयी ओर खड़ा है । एक मूर्तिके दाहिने हाथमें आनलुम्बि है और बाँया खण्डित है । दूसरी मूर्ति में दाहिना हाथ टूटा है। बाँयेमें फल हैं। ये बारहवीं शतीकी बनीं मालूम पड़ती हैं।
ब्रिटिश संग्रहालय, लन्दनमें संग्रहीत अम्बिकाकी एक मूर्ति उड़ीसासे प्राप्त हुई है । इसमें एक सुन्दर आम्रवृक्ष के नीचे खड़ी त्रिभंग मुद्रामें अम्बिका मिलती है। यह सुन्दर आभूषण एवं साड़ी पहने हुए हैं ।
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