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________________ सारणी 3. धार्मिक तत्वोंके लिये उपमान उपमान गुण उपमेय 1. जल प्रवाह व प्रक्षालन गुण सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्र 2. वृक्ष प्राकृतिक आकर्षण, विशालता धर्म, मोह, पुनर्जन्म, संसार बन, सघन वन प्राकृतिक आकर्षण, भुलभुलैया संसार, स्त्री लता, महालता परजीविता संसार, माया 3. समुद्र अनन्त विस्तार, गहराई, रत्न संसार, मुनि, विषय 4. रत्न शोभा, बहुमूल्यता, कठोरता तप, सम्यक्त्व 5. स्फटिकमणि, चिन्तामणि, शुद्धता, बहुमूल्यता माणिक्य, नमक क्रिस्टल 6. शत्रु युद्ध करना, जीतना कर्म, कषाय 7. महल निवास स्थान, विस्तार, सौन्दर्य धर्म, मोक्ष 8. लक्ष्मी, प्रिया चाहनेकी इच्छा, सौन्दर्य, अनुरक्ति धर्म, मोक्ष 9. राजा सामर्थ्य कर्म आत्मा 10. शस्त्र, कुदाली छेदन, भेदन, शत्रु-दलन ज्ञान, भावना, क्षमा, ध्यान तलवार, खङ्ग चरित्र 11. विष, विषपुष्प विषाक्तता, बाधक कर्म, विषय 12. धूलि, मल, रज, कीट सूक्ष्मता, चिपकनेकी क्षमता कर्म, मिथ्यात्व, पाप कलङ्क निराकरणीयता 13. अन्धकार अदृश्यता मिथ्यात्व, पाप 14. अग्नि जलाना, जलना, ऊर्जा रोग, मृत्यु, चरित्र, तप सर्वभक्षण 15. ईधन जलानेका गुण 16. तेल स्निग्धता भक्ति, आस्रव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210790
Book TitleJain Dharmik Sahitya me Upman aur Upamey
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitabhkumar
PublisherZ_Kailashchandra_Shastri_Abhinandan_Granth_012048.pdf
Publication Year1980
Total Pages8
LanguageHindi
ClassificationArticle & Logic
File Size696 KB
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