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________________ द्वार तलवार ३७. वैयावृत्य सरोवर ३८. रत्नत्रय . बोधिवृक्ष ३९. आस्रव तैल ४०. जिन वचन औषध ४१. कर्मबन्ध तरुणी स्त्री-पुरुषसंयोग ४२. कर्मके विविध रूप आहारके विविध पाक ४३. कर्म बन्ध पाक पके फलका गिरना ४४. इन्द्रिय ४५. अभव्य जीव उल्लू ४६. समता सुख मछलियाँ ४७. कोमलता मालती पुष्प ४८. ओष्ठ बिंबफल ४९. नेत्र कमल ५०. चरण कमल ५१. मुख चन्द्र ५२. शास्त्र, जिनवचन औषधि, अमृत, महासागर सारणी २. विभिन्न उपमानोंका वर्गीकरण १. प्राकृतिक वस्तुएँ और घटनाएँ २. सामान्य वस्तुएँ सरोवर, गहन ताल मल शिल्पिक वृक्ष, बोधिवृक्ष, महावृक्ष झंझावात कीच, कीट चाक लता, महालता भंवर इधन सूपा समुद्र तैल धौंकनी कमल रत्न महल दीपक वन, सघनवन स्फटिकमणि लक्ष्मी, प्रिया चक विषपुष्प कुटी, झोपड़ी धन, सम्पत्ति कन्दमूल मेरुपर्वत विषकुम्भ नागिन विष श्वेतशंख राजा कुठार अन्धकार शास्त्र, कुदाली नौका ३. धातुएं ४. भावात्मक उपमान ५. ग्रह छिलका व्याधि घट वङ्ग वेदना चन्द्र विविधमणि सुख पिशाच नमक, क्रिस्टल लोह जल योद्धा, शत्र नाग सूर्य सुवर्ण - २१३ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210790
Book TitleJain Dharmik Sahitya me Upman aur Upamey
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitabhkumar
PublisherZ_Kailashchandra_Shastri_Abhinandan_Granth_012048.pdf
Publication Year1980
Total Pages8
LanguageHindi
ClassificationArticle & Logic
File Size696 KB
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