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________________ धनीन्द्रसरि स्मारकग्रन्थ - जैन दर्शन - (८) सांख्यसूत्र-१/१०० (३२) वेदान्तपरिभाषा, पृष्ठ १८४-१८९ (९) योगभाष्य-पृष्ठ ११ तथा (३३) न्याय प्रवेश, पृष्ठ १ भारतीय-दर्शन में अनुमान-डॉ. बृजनारायण शर्मा, पृष्ठ २४ (३४) वही (१०) मीमांसासूत्र, भाष्यकार-शबरस्वामी, पृष्ठ, ३६ (३५) जैन-धर्म-दर्शन, डा. मोहनलाल मेहता, पृष्ठ ३०३ (११) वेदान्तपरिभाषा, पृष्ठ १५९ (३६) दशवैकालिकनियुक्ति ५० (१२) आनुमितिश्च व्याप्तिज्ञानत्वेन व्याप्तिज्ञानजन्या-वेदान्त - (३७) जैन-धर्म-दर्शन, पृष्ठ ३२८ परिभाषा, पृष्ठ १६१ (३८) न्यायसूत्र - १/१/३३ तथा भारतीयदर्शन, अनु. पृष्ठ २४ (३९) न्यायावतार, कारिका-१४ (१३) प्रमाणवार्तिक-२/६२ (४०) प्रमेयरत्नमाला, तृतीय समुद्देश (१४) प्रमाण समुच्चय-अध्याय २ तथा (४१) प्रमाणमीमांसा-२/१/११ भारतीय दर्शन में अनुमान, डा. बृजनारायण शर्मा, पृष्ठ २६ (४२) वैशेषिक-सूत्र ३/१/१४ (१५) प्रमाणवार्तिक (४३) वही - ३/१/१५ (१६) आधुनिक तर्कशास्त्र की भूमिका-डॉ. संकटाप्रसाद सिंह, (४४) न्यायसूत्र - १/१/३४-३५ पृष्ठ १८६ (४५) न्यायावतार, कारिका - २२ (१७) लघीयस्त्रये स्वो. कृति, कारिका-१० (४६) प्रमाणपरीक्षा - ११६, ११७ (१८) आप्तमीमांसा, कारिका १६-१९, २६,२७ आदि (४७) प्रमाणमीमांसा, द्वितीयोऽध्यायः तथा जैनतर्कशास्त्र में अनुमान-विचार, पृष्ठ ९१ (४८) १२वें सूत्र का विवेचन (१९) न्यायावतार, कारिका-५ (४९) न्यायवार्तिक, पृष्ठ १४४-१४५ तथा न्यायावतार, अनु. पं. विजयमूर्ति शास्त्राचार्य, पृष्ठ ४९ ।। (५०) प्रमाणवार्तिक - ३/२ (२०) न्यायविनिश्चय, श्लोक १७० (द्वितीयः अनुमानप्रस्ताव:) (५१) हेतुबिन्दुटीका, पृष्ठ २०४-२१३ (२१) जैन-दर्शन, डा. महेन्द्र कुमार जैन, पृष्ठ २३४ (५२) जैनदर्शन, डा. महेन्द्र कुमार जैन, पृष्ठ २४२ (२२) प्रमाणपरीक्षा, १०९ अनुमानस्य प्रमाण्य-निरूपणम्।। (५३) हेतुबिन्दुटीका, पृष्ठ २०५ (२३) श्लोकवार्तिक १/१३/१२९ (५४) जैनतर्कशास्त्र में अनुमान, पृष्ठ १९२ (२४) जैनतर्कशास्त्र में अनुमान, पृष्ठ ९४ (५५) न्यायविनिश्चयवृत्ति - २/१५५ (२५) परीक्षामुख सूत्र-१०, तृतीयः समुद्देशः (५६) जैनतर्कशास्त्र में अनुमान, पृष्ठ १९४ (२६) प्रमेयरत्नमाला, व्याख्याकार-पं. हीरालाल जैन, पृष्ठ १४० (५७) प्रमाणपरीक्षा, सम्पादक-डा. कोठिया, पृष्ठ ४९ (२७) न्यायभाष्य, पृष्ठ ४७ (५८) वैशेषिक-सूत्र ९/२/१ (२८) न्यायसूत्र, १/१/३२ (५९) जैनदर्शन, डा. महेन्द्र कुमार जैन, पृष्ठ २४५ (२९) अवयवाः पुनः प्रतिज्ञापदेशनिदर्शनानुसन्धान प्रत्याम्नायाः- (६०) भारतीय दर्शन में अनुमान, पृष्ठ ५६ प्रशस्तपादभाष्य, पृष्ठ ३३५ (६१) प्रमाणवार्तिक-३/२ (३०) पञ्चावयवयोगात्, सुखसंवित्ति: ५/२७ सांख्यसूत्र (६२) भारतीय दर्शन में अनुमान, पृ. ६३-६४ (३१) जैनतर्कशास्त्र में अनुमान-विचार, पृष्ठ ४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210649
Book TitleJain Tark me Anuman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBasistha Narayan Sinha
PublisherZ_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf
Publication Year1999
Total Pages23
LanguageHindi
ClassificationArticle & Logic
File Size3 MB
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