________________ 762 : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति-ग्रन्थ : चतुर्थ अध्याय क्रम सं० रचना का नाम रचयिता समय उपलब्धि का स्थान 8. प्रद्युम्न चौपई कमलकेशर 1626 6. नेमिनाथ रासो रूपचन्द 1643 के आस पास 10. शाम्ब प्रद्युम्नरास समयसुन्दर गणि 1656 प्रतिलिपि आमेर शास्त्र भण्डार 11. हरिवंशपुराण (हि० गद्य) 1671 12. हरिवंशपुराण (पद्य) शालिवाहन 1665 दि० जैन मन्दिर पल्लिवालों का धूलियागंज आगरा / 13. नेमिश्वर को रस भाऊ कवि 1666 दि. जैन मन्दिर नया बैराठियां का जयपुर 14. नेमिनाथरास रत्नकीर्ति 1666 15. शाम्बप्रद्युम्नरास ज्ञानसागर 17 वीं शताब्दी 16. प्रद्युम्न प्रबन्ध देवेन्द्रकीति 1722 आमेर भण्डार, जयपुर 17. रूक्मणि कृष्णजी को रास निपरदास 1736 (प्र.लि.) दि० जैन मन्दिर गोधों का, जयपुर पाण्डवपुराण बुलाकीदास 1754 वि० सं० आमेर शास्त्र भण्डार 19. पाण्डव चरित्र लाभवर्द्धन 1768 दि० जैन मन्दिर संघीजी, जयपुर 20. नेमीश्वररास नेमिचन्द्र 1766 आमेर शास्त्र भण्डार 21. हरिवंशपुराण खुशालचन्द काला 1780 शास्त्रभण्डार लूणकरजी पांड्या मन्दिर, जयपुर 22. उत्तरपुराण 1766 सौगाणियों का दि० जैन मन्दिर करौली, 23. नेमिनाथचरित्र अजयराज पाटनी 1763 दि. जैन मन्दिर ठोलियों का, जयपुर 24, नेमिजी का चरित्र आनन्द 1804 दि० जैन मन्दिर, जोबनेर 25. प्रद्युम्नरास मायाराम 1818 26. हरिवंशपुराण (हि०गद्य) दौलतराम 1826 प्रकाशित 27. प्रद्युम्नचरित्र बूलचन्द 1843 सेठ के कूचा का दि० जैन मन्दिर, दिल्ली 28. शाम्बप्रद्युम्नरास हर्षविजय 1845 नेमिचन्द्रिका मनरंगलाल 1857 दि० जैन मन्दिर बड़ा तेरापन्थी, जयपुर 30. देवकी की ढाल लूणकरण 1885 (लिपि संवत्) दि० जैन मन्दिर डबलाना कासलीवाल उल्लिखित ग्रन्थों के अतिरिक्त २०वीं शताब्दी के हिन्दी गद्य में अनुवादित बहुत से ग्रंथ उपलब्ध हैं. कुछ नाम इस प्रकार हैं. (31) नेमिपुराण भाषा-भागचन्द (32) नेमिपुराणभाषा-वखतावरमल (3) प्रद्युम्नचरित भाषा-ज्वालाप्रसाद, वखतावरसिंह (34) पाण्डवपुराण-पन्नालाल चौधरी (35) राघवपाण्डवीय टीका-चरित्रवर्द्धन (36) नेमिपुराण भाषा-उदयलाल (37) नेमिनाथ चरित्र-काशीराम (38) पाण्डवपुराण टीका-घनश्यामदास न्यायतीर्थ (36) प्रद्युम्नचरित्र--शीतलप्रसाद (40) प्रद्युम्नकुमार (पद्यमय)-अमोलकऋषिजी महाराज (गद्यसंस्करणशोभाचन्द्र भारिल्लकृत) (41) उत्तरपुराणवचनिका-पन्नालाल दूनी वाले (42) प्रद्युम्नचरित-बख्तावरमलरतनलाल (43) प्रद्युम्नचरित बचनिका—मन्नालाल बैनाड़ा. जैन-कवियों के कृष्ण सम्बन्धी पद भी बहुत बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं. इन कवियों में बनारसीदास, द्यानतराय, भैया भगवतीदास, बुधजन, भूधरदास, पं० महाचन्द्र प्रभृति कवियों के सुन्दर पद मिलते हैं. 26. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org