________________ 124 डॉ० वशिष्ठ नारायण सिन्हा की, उसे एक ऐसी क्रान्ति के रूप में स्वीकार किया गया जैसी क्रान्ति भूगोल-खगोल के क्षेत्रे में कॉपरनिकस के द्वारा लाई गयी थी।' काण्ट के कार्य को बहुत ही सराहा गया और उन्हें दर्शन जगत् में एक अतिश्रेष्ठ स्थान दिया गया। काण्ट से बहुत पहले जैनाचार्यों ने अपनी विशिष्ट चिन्तन प्रणाली से भारतीय समाज को वैचारिक समन्वय एवं व्यवहारिक सद्भाव के सूत्रों में बाँधने की प्रशंसनीय कोशिश की, लेकिन समाज से उन्हें आलोचना तथा अवहेलना के सिवा कुछ न मिला। दर्शन विभाग काशी विद्यापीठ वाराणसी __ . 1. कॉपरनिकस से पूर्व यह मान्यता थी—पृथ्वी स्थिर है और सूर्य चलता है किन्तु कॉपरनिकस ने या प्रमाणित कर दिया है कि सूर्य स्थिर रहता है पृथ्वी चलती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org