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________________ - यतीन्दसूरि स्मारक नात्य - जैन आगम एवं साहित्य - भरत का राज्याभिषेक, भरत और बाहुबलि का युद्ध, आदि में विहार, चंदनबालावृत्त, गोपकृत शलाकोपसर्ग, बाहुबलि को केवलज्ञान की प्राप्ति आदि घटनाओं का वर्णन केवलोत्पाद, समवसरण, गणधरदीक्षा आदि। देवीकृत उपसर्ग भी आचार्य ने कुशलतापूर्वक किया है। इस प्रकार ऋषभदेव का वर्णन करते समय आचार्य ने देवियों के रूप-लावण्य, स्वभाव, संबंधी वर्णन समाप्त करते हुए चक्रवर्ती, वासुदेव आदि का भी चापल्य, श्रृंगार-सौंदर्य आदि का सरस एवं सफल चित्रण किया थोड़ा सा परिचय दिया गया है तथा अन्य तीर्थंकरों की जीवनी है। इसी प्रकार भगवान के देह-वर्णन में भी आचार्य ने अपना पर भी किंचित् प्रकाश डाला गया है। साथ ही यह भी बताया साहित्य-कौशल दिखाया है। गया है कि भगवान् महावीर के पूर्वभव के जीव मरीचि ने किस क्षेत्र, काल आदि शेष द्वारों का व्याख्यान करते हुए चूर्णिकार प्रकार भगवान् ऋषभदेव से दीक्षा ग्रहण की और किस प्रकार प्रकार ने नयाधिकार के अंतर्गत वज्रस्वामी का जीवन वृत्त प्रस्तुत के परीषहों से भयभीत होकर स्वतंत्र सम्प्रदाय की स्थापना की। किया है और यह बताया है कि आर्य वज के बाद होने वाले इस वर्णन में मूल बातें वही हैं, जो आवश्यक नियुक्ति में है।२८ । आर्य रक्षित ने कालिक का अनुयोग पृथक कर दिया है। इस निर्मगद्वार के प्रसंग से इतनी लंबी चर्चा होने के बाद पुनः प्रसंग पर आर्य रक्षित का जीवन-चरित्र भी दे दिया गया है। भगवान् महावीर का जीवनचरित्र प्रारंभ होता है। मरीचि का जीव आर्य रक्षित के मातुल गोष्ठामाहिल का वृत्त देते हुए यह बताया किस प्रकार अनेक भवों से भ्रमण करता हुआ ब्राह्मणकुण्डग्राम गया है कि वह भगवान् महावीर के शासन में सप्तम निह्नव के दा ब्राह्मणी की कुक्षि में आता है, किस प्रकार गर्भापहरण रूप में प्रसिद्ध हुआ। जमालि, तिष्यगुप्त, आषाढ़, अश्वमित्र, गंगसूरि होता है, किस प्रकार राजा सिद्धार्थ के पुत्र के रूप में उत्पन्न होता और षडुलूक- ये छह निह्नव गोष्ठामाहिल के पूर्व हो चुके थे। इन है। किस प्रकार सिद्धार्थसुत वर्धमान का जन्माभिषेक किया सातों निह्नवों के वर्णन में चूर्णिकार ने नियुक्तिकार का अनुसरण जाता है आदि बातों का विस्तृत वर्णन करने के बाद आचार्य ने किया है। साथ ही भाष्यकार का अनुसरण करते हुए चूर्णिकार महावीर के कुटुम्ब का भी थोड़ा-सा परिचय दिया है। वह इस ने अष्टम निह्नव के रूप में बोटिक-दिगंबर का वर्णन किया है प्रकार है और कथानक के रूप में भाष्य की गाथा उद्धृत की है।३० समणे भगवं महावीरे कासवगोत्तेणं, तस्स णं ततो णामधेज्जा - इसके बाद आचार्य ने सामायिकसंबंधी अन्य आवश्यक एवमाहिज्जंति, तंजहा-अम्मापिउसंतिए बद्धमाणे सहसंमुदिते समणे बातों का विचार किया है, जैसे सामायिक के द्रव्य-पर्याय, अयलेभयभेरवाणं खंता पडिमासतपारए अरतिरतिसहे दविए नयदृष्टि से सामायिक, सामायिक के भेद, सामायिक का स्वामी, धितिविरिय संपन्ने परीसहोवसग्गसहेत्ति देवेहिं से कतं णामं समणे भगवं महावीरे। भगवतो माया चेडगस्स भगिणी, भोयी चेडगस्स प्राप्ति करने वाला, सामायिक की प्राप्ति के हेतु, एतद्विषयक धुआ, णाता णाम जे उसभसामिस्स सयाणिज्जगा ते णातवंसा, आनंद, कामदेव आदि के दृष्टांत, अनुकम्पा आदि हेतु और मेंठ, पित्तिज्जए सुपासे, जे? भाता णंदिबद्धणे, भगिणी सुदंसणा, भारिया इन्द्रनाग, कृतपुण्य, पुण्यशाल, शिवराजर्षि, गंगदत्त, दशार्णभद्र, जसोया कोडिन्नागोत्तेणं, धूययाकासवीगोत्तेणं तीसे दो नामधेज्जा, इलापुत्र आदि के उदाहरण सामायिक की स्थिति, सामायिकवालों तं. अणोज्जगित्ति वा पियदंसणाविति वा, णत्तुई कोसीगोत्तणं, की संख्या, सामायिक का अंतर, सामायिक का आकर्ष, समभाव तीसे दो नामधेज्जा (जसवतीति वा) सेववतीति वा, एवं (यं) के लिए दमदन्त का दृष्टांत, समता के लिए मेतार्य का उदाहरण, नामाहिगारे दरिसितं। समास के लिए चिलातिपुत्र का दृष्टांत, संक्षेप और अनबद्ध के भगवान महावीर के जीवन से संबंधित निम्न घटनाओं लिए तपस्वी और धर्मरुचि के उदाहरण, प्रत्याख्यान के लिए का विस्तृत वर्णन चूर्णिकार ने किया है- धर्मपरीक्षा, विवाह, तेतलीपुत्र का दृष्टांत। यहाँ तक उपोद्घातनियुक्ति की चूर्णि का अपत्य, दान, संबोध, लोकान्तिकागमन, इंद्रागमन, दीक्षामहोत्सव, अधिकार है। उपसर्ग, इंद्रप्रार्थना, अभिग्रहपंचक, अच्छंदकवृत्त, चण्डकौशिकवृत्त, सूत्रस्पर्शिकनियुक्ति की चूर्णि में निम्न विषयों का प्रतिपादन गोशालकवृत्त, संगमककृत उपसर्ग, देवीकृत उपसर्ग, वैशाली किया गया है- नमस्कार की उत्पत्ति, निक्षेपादि, राग के निक्षेप, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210168
Book TitleAgamik Churniya aur Churnikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherZ_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf
Publication Year1999
Total Pages18
LanguageHindi
ClassificationArticle & Agam
File Size2 MB
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