SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 202
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९२ आत्म-कथा : भाग २ चढ़कर तैर सकते हैं। गोखलेने खोद-खोदकर बातें पूछीं---जैसी कि मदरसेमें भरती होते समय विद्यार्थी से पूछी जाती हैं। किस-किससे मिलूं और किस प्रकार मिलूं, यह बताया और मेरा भाषण देखनेके लिए मांगा। मुझे अपने कालेजकी व्यवस्था दिखाई । कहा--" जब मिलना हों, खुशीसे मिलना और डाक्टर भांडारकरका उत्तर मुझे जताना ।" फिर मुझे बिदा किया। राजनीतिक क्षेत्र में गोखलेने जीते-जी जैसा आसन मेरे हृदयमें जमाया और जो उनके देहांतके बाद अब भी जमा हुआ है वैसा फिर कोई न जमा सका। रामकृष्ण भांडारकर मुझसे उसी तरह पेश आये, जिस तरह पिता पुत्रसे पेश आता है । मैं दोपहरके समय उनके यहां गया था। ऐसे समय भी मैं अपना काम कर रहा था, यह बात इस परिश्रमी शास्त्रज्ञको प्रिय हुई और तटस्थ अध्यक्ष बनानेके मेरे आग्रहपर ( 'दैट्स इट', 'दैट्स इट' ) ' यही ठीक है ', 'यही ठीक है' उद्गार सहज ही उनके मुंहसे निकल पड़े ।। बातचीतके अंतमें उन्होंने कहा--"तुम किसीसे भी पूछोगे तो वह कह देगा कि आजकल मैं किसी भी राजनीतिक काममें नहीं पड़ता हूं; परंतु तुमको में विमुख नहीं कर सकता। तुम्हारा मामला इतना मजबूत है, और तुम्हारा उद्यम इतना स्तुत्य है कि मैं तुम्हारी सभामें आनेसे इन्कार नहीं कर सकता। श्रीयुत तिलक और श्रीयुत गोखलेसे तुम मिल ही लिये हो, यह अच्छा हुआ। उनसे कहना कि दोनों पक्ष जिस सभामें मुझे बुलावेंगे, मै आ जाऊंगा और अध्यक्ष स्थान ग्रहण कर लूंगा। समयके बारेमें मुझसे पूछनेकी आवश्यकता नहीं। जो समय दोनों पक्षोंको अनुकूल होगा उसकी पाबंदी में कर लूंगा।" यह कहकर मुझे धन्यवाद और आशीर्वाद देकर उन्होंने विदा किया ।। बिना कुछ गुल-गपाड़ेके, विना कुछ प्राडंबरके, एक सादे मकान में पूनाके इन विद्वान् और त्यागी मंडलने सभा की और मुझे पूरा-पूरा प्रोत्साहन देकर विदा किया। यहांसे मदरास गया। मदरास तो पागल हो उठा। बालामुंदरम्के किस्सेका बड़ा गहरा असर सभापर पड़ा। मेरा भाषण कुछ लंबा था; पर था सब छपा हुआ। एक-एक शब्द सभाने मन लगाकर सुना। सभाके अंतमें उस हरी पुस्तिकापर लोग टूट पड़े। मदरासमें कुछ घटा-बढ़ाकर उसका दूसरा
SR No.100001
Book TitleAtmakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1948
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size70 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy