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शांकर-दर्शनम्
७०१ तदुक्तममृतकलायाम३७. अत्रोच्यते द्वयो संविद्वस्तुनो भूतलादिनः। .
एका संसृष्टविषया तन्मात्रविषया परा॥ ३८. तन्मात्रविषया वापि द्वयो साथ निगद्यते ।
प्रतियोगिन्यदृश्ये च दृश्ये च प्रतियोगिनि ॥ ३९. तत्र तन्मात्रधीर्येयं स्मृते च प्रतियोगिनि । नास्तित्वं सैव भूभागे घटादिप्रतियोगिनः ॥
(प्रक० १०६।३७-३९ ) इति । इसे अमृतकला ( प्रकरणपञ्चिका के छठे प्रकरण का नाम ) में कहा गया है-'इस दर्शन में भूतल आदि वस्तु में दो प्रकार का ज्ञान माना गया है । एक का संसृष्ट विषय होता है (जैसे भूतल घट से युक्त है ) । दूसरे प्रकार के ज्ञान का विषय केवल वह वस्तु ही है (जैसे केवल भूतल का ज्ञान ) ॥३७ ॥ अब वह तन्मात्र-विषयक ज्ञान भी दो प्रकार का कहा जाता है-एक तो प्रतियोगी के अदृश्य हो जाने पर और दूसरा प्रतियोगी के दृश्य ही रहने पर ॥ ३८ ॥ उनमें जो तन्मात्र-विषयक बुद्धि है जब प्रतियोगी के स्मरण के साथ उत्पन्न होती है तब उसे हो भूतल में घटादि प्रतियोगी का अभाव मानते हैं । ( केवल भ्रतल के स्वरूप का ज्ञान घट के स्मरण के साथ हो तो उसे ही अभाव कहते हैं । स्पष्टतः अभाव भावरूप ही है)। (प्रकरणपञ्चिका, ६।३७-३९)।
अत एव प्राभाकरमतानुसारिभिः प्रमाणपारायणे प्रत्यक्षादीनि पञ्चैव प्रमाणानि प्रपञ्चितानि । नन्वेवमभावस्याभावे नकारस्य वैयर्थ्यमापद्येत । अनुशासनविरोधश्चापतेदिति चेत्-तदेतद्वार्तम् । एकोनपञ्चाशद्वर्णानां मध्ये कस्यापि वर्णस्याभावार्थत्वादर्शनेन वर्णस्य सतो नकारस्य तदर्थत्वानुपपत्तः।
इसीलिए प्रभाकर-मत का अनुसरण करनेवाले [ शालिकनाथ ने अपनी प्रकरणपञ्चिका के पांचवें प्रकरण अर्थात् ] प्रमाण-पारायण में प्रत्यक्षादि पांच प्रमाणों का ही निरूपण किया है । [ ये प्रमाण हैं—प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द और अर्थापत्ति । छठा प्रमाण अनुपलब्धि है जिसे भाट्ट-मीमांसक मानते हैं । प्रभाकर इसे नहीं मानते । अनुपलब्धि केवल अभाव का ही ग्रहण करती है किन्तु प्रभाकर-मत में भाव के अतिरिक्त अभाव नाम की कोई वस्तु ही नहीं है। इसलिए उसके ग्रहण के लिए पृथक् प्रमाण की क्या आवश्कता है ?] ____ अब समस्या होगी कि जब इस प्रकार अभाव की सत्ता नहीं मानते हैं तो नकार व्यर्थ हो जायगा। [ न = नहीं, यह अव्यय है । इसका क्या उत्तर होगा ? ] यही नहीं, पाणिनि के अनुशासन का भी विरोध हो जायगा । [ पाणिनि ने 'न' ( २।२।६ ) सूत्र में उत्तर पद के साथ तत्पुरुष समास होने का विधान किया है- इसका विरोध होगा। क्योंकि यदि