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सर्वदर्शनसंग्रहे
· विशेष—यदि सत्ता स्थायी होती तो कम और अक्रम नहीं होता । स्थायी होने पर आगे-पीछे होने का प्रश्न तो उठता ही नहीं, पदार्थों की एककालिकता भी नहीं होगी क्योंकि सत्ता के खण्ड नहीं होंगे। इसलिए क्रम और अक्रम दोनों स्थितियों से स्थायी पथक हैं, अस्थायी पदार्थ में ही ये हो सकते हैं। सत्ता का लक्षण अर्थक्रिया के रूप में दिया गया है. स्थायी पदार्थ में अर्थक्रिया नहीं हो सकती, क्योंकि स्थायी यदि कारण बनकर अपनी सत्ता के नाश के बाद कार्य उत्पन्न करे तभी यह सम्भव है । सो हो नहीं सकता, यदि स्थायी है तो फिर नाश कसे ? अर्थक्रिया ( कार्योत्पादन ) जब होगी तब क्षणिक-पक्ष में। इसलिए अर्थक्रिया को स्थायी पदार्थ से पृथक् करके, स्वयं भी क्रम-अक्रम स्थायी से पृथक् रहते हैं ( Excluded ) जिससे केवल क्षणिक वस्तुओं की सत्ता सिद्ध होती है । इस प्रकार क्षणिकत्व-भावना की सिद्धि हुई।
(८. अक्षणिक पदार्थ का 'क्रम' से अर्थक्रियाकारी नहीं होना ) नन्वक्षणिकस्य अर्थक्रियाकारित्वं किं न स्यादिति चेत्-तदयुक्तम । विकल्पासहत्वात् । तथा हि-वर्तमानार्थक्रियाकरणकालेऽतीतानागतयोः किम अर्थक्रिययोः स्थायिनः सामर्थ्यमस्ति नो वा। आये तयोरनिराकरणप्रसङ्गः, समर्थस्य क्षेपायोगात् । यद्यदा यत्करणसमर्थ तत्तदा तत्करोत्येव यथा सामग्री स्वकार्य समर्थश्चायं भाव इति प्रसडानुमानाच्च ।
द्वितीये कदापि न कुर्यात् । सामर्थ्यमात्रानुबन्धित्वादर्थक्रियाकारित्वस्य । यद्यदा यन्न करोति तत्तदा तत्रासमर्थं यथा हि शिलाशकलमङकुरे। न चैष वर्तमानार्थक्रियाकरणकाले वृत्तवतिष्यमाणे अर्थक्रिये करोतीति तद्विपर्ययाच्च ॥
[ ऊपर यह सिद्ध कर चुके हैं कि अर्थक्रियाकारित्व ( कार्योत्पादन की क्षमता । केवल क्षणिक पदार्थ मानने से होता है इस पर विरोधी लोग पूछ सकते हैं कि अ-क्षणिक पदार्थों में ( जैसे दूसरे दर्शनों में ईश्वर, घट, पट, आदि जो स्थायी या नित्य माने गये हैं उनमें ) कार्योत्पादन की क्षमता क्यों नहीं होगी। [ इस पर हमारा पक्ष है कि ] ऐसा प्रश्न करना युक्तिसंगत नहीं क्योंकि [ निम्नलिखित ] दोनों विकल्पों से यह असिद्ध हो जायगा ( शब्दशः-दोनों विकल्पों को सहन नहीं कर सकेगा ) । वह इस प्रकार है-वर्तमान कार्योत्पादन के ( सम्पादन के ) समय स्थायी, पदार्थ ( अ-क्षणिक ) में भूतकालिक और भविष्यत्कालिक कार्योत्पादन की सामर्थ्य है कि नहीं ? ( अभिप्राय यह है कि जब कुम्भकार एक घड़े का निर्माण करता है तब भूतकालिक घट और भविष्यत् घटरूपी अर्थ को उत्पन्न करने वाली क्रिया करने की शक्ति उसमें है कि नहीं? )।