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________________ ( ५२ ) ७ न्यायशास्त्र का नामकरण ८ अपवर्ग के साधन न्याय का द्वितीय सूत्र ६ मोक्ष का स्वरूप - माध्यमिक मत क. मोक्ष के विषय में विज्ञानवादियों का मत १० जैनों के मत से मोक्ष का विचार ११ चार्वाक और सांख्य-मत में मोक्ष क. मीमांसा - मत से मुक्ति- विचार १२ नैयायिक मत से मुक्ति- विचार १३ ईश्वर की सत्ता के लिए प्रमाण- - पूर्वपक्ष क. नैयायिकों का उत्तर-- - ईश्वरसिद्धि ख. कर्त्ता का लक्षण तथा ईश्वर का कर्तृत्व १४ ईश्वर के द्वारा संसार निर्माण - पूर्वपक्ष १५ ईश्वर के द्वारा संसार-निर्माण- सिद्धान्त (१२) जैमिनि-दर्शन ( मीमांसा - दर्शन ) १ मीमांसा-सूत्र की विषय-वस्तु २ प्रथम सूत्र तथा अधिकरण का निरूपण ३ भाट्टमत से अधिकरण का निरूपण क. पूर्वपक्ष - शास्त्रारम्भ ठीक नहीं ४ सिद्धान्तपक्ष - शास्त्रारम्भ करना सर्वथा उचित है क. अध्ययन-विधि का लक्ष्य अर्थबोध ही है ख. मीमांसा के विषय में अन्य शंका और उत्तर ५ सिद्धान्तपक्ष का उपसंहार और संगति का निरूपण ६ प्रभाकर के मत से उक्त अधिकरण का निरूपण क. प्रभाकर मत से पूर्वपक्ष ख. प्रभाकर मत से सिद्धान्तपक्ष ७ वेदों को पौरुषेय मानने वाले पूर्वपक्ष का निरूपण क. पौरुषेयसिद्धि का दूसरा रूप ८ वेद अपौरुषेय हैं - सिद्धान्त - पक्ष क. पौरुषेयत्व का दूसरे प्रकार से खण्डन ९ शब्दानित्यत्व का खण्डन १० वेद की प्रामाणिकता - निष्कर्ष ११ प्रामाण्यवाद का निरूपण क. स्वतः प्रामाण्य का अर्थ-लम्बी आशंका १२ स्वतः प्रामाण्य की सिद्धि – शंका समाधान क. ज्ञप्ति-विषयक स्वतः प्रामाण्य की सिद्धि ४१७ ४१९ ४२२ ४२३ ४२४ ४२५ ४२६ ४२८ ४२९ ४३० ४३३ ४३५ ४३६ ४३९-४८८ ४३९ ४४६ ४४७ ४४७ ४५२ ४५४ ४५५ ४५६ ४५७ ४६० ४६१ ४६३ ४६६ ४६७ ४६८ ४७० ४७४ ४७६ ४७८ ४८३ ४८५
SR No.091020
Book TitleSarva Darshan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmashankar Sharma
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size38 MB
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