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________________ ७ श्रुति प्रमाण से भेद की सिद्धि ८ माया का अर्थ — द्वैत का प्रतिपादन ६ ईश्वर की सर्वोत्कृष्टता के अन्य प्रमाण ( ४६ ) १० मोक्ष ईश्वर के प्रसाद से ही मिलता है ११ 'तत्त्वमसि' का अर्थ क. तत्त्वमसि का दूसरा अर्थ ख. उक्त नव दृष्टान्तों से भेद - सिद्धि १२ एक के ज्ञान से सभी वस्तुओं का ज्ञान - इसका अर्थ १३ मिथ्या का खण्डन १४ ब्रह्मसूत्र के प्रथम सूत्र का अर्थ १५ ब्रह्म का लक्षण १६ ब्रह्म के विषय में प्रमाण १७ शास्त्रों का समन्वय १८ पूर्ण प्रज्ञ - दर्शन का उपसंहार (६) नकुलीश - पाशुपत - दर्शन १ वैष्णव- दर्शनों में दोष २ पाशुपत सूत्र की व्याख्या - गुरु का स्वरूप क. सूत्र के अन्य शब्द -- पति आदि ३ दुःखान्त का निरूपण ४ कार्य का निरूपण (७) शेव-दर्शन -अतः, ५ कारण और योग का निरूपण ६ विधि का निरूपण ७ समासादि पदार्थ और अन्य शास्त्रों से तुलना ८ निरपेक्ष ईश्वर की कारणता ईश्वर के ज्ञान से मोक्ष प्राप्ति १ शैवागम - सिद्धान्त के तीन पदार्थ २ 'पति' का निरूपण क. ईश्वर को कर्त्ता मानने में आपत्ति और समाधान ३ ईश्वर का शरीर-धारण ४ ' पशु' पदार्थ का निरूपण - अन्य मतों का खण्डन जीव के तीन भेद क. विज्ञानाकल जीव के दो भेद २२७ २२८ २३१ २३२ २३३ २३४ २३७ २३८ २४२ २४६ २४८ २४८ २५० २५१ २५४-२७३ २५४ २५६ २५६ २६० २६२ २६४ २६५ २६८ २६६ २७२ २७४-२९७ २७४ २७७ २७८ २८१ २८५ २८७ २८८
SR No.091020
Book TitleSarva Darshan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmashankar Sharma
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size38 MB
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