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________________ नायिका नालिका नायिका-काव्य/नाट्य का प्रधान स्त्रीपात्र। नायक में त्याग आदि जिन गुणों का वर्णन किया गया है, नायिका साधारण रूप से उन सब गुणों से युक्त होती है तथा नायक की प्रेमास्पद होती है-नायिका पुनर्नायकसामान्यगुणैस्त्यागादिभिर्यथासम्भवैर्युक्ता भवति। यौवन में नायिकाओं के अठाईस सात्त्विक अलङ्कार होते हैं। इनमें से भाव, हाव और हेला ये तीन अङ्गज अलङ्कार हैं क्योंकि इनका सम्बन्ध शरीर के साथ होता है। शोभा, कान्ति, दीप्ति, माधुर्य, प्रगल्भता, औदार्य और धैर्य ये सात अयत्नज हैं। शेष अठारह लीला, विलास, विच्छित्ति, बिब्बोक, किलकिञ्चित, मोट्टायित, कुट्टमित, विभ्रम, ललित, मद, विहत, तपन, मौग्ध्य, विक्षेप, कुतूहल, हसित, चकित और केलि स्वभावज भाव हैं। इनमें से प्रथम दश (भाव से धैर्य तक) पुरुषों में भी हो सकते हैं परन्तु नायिकाश्रित होकर ही ये विशेष रूप से चमत्कारक होते हैं। ___ प्रधान रूप से नायिका तीन प्रकार की होती है-स्वकीया, परकीया और साधारणी स्त्री। इनमें से स्वकीया मुग्धा, मध्या और प्रगल्भा के भेद से तीन प्रकार की है। मुग्धा और प्रगल्भा भी धीरा, अधीरा और धीराधीरा के भेद से पुनः तीन-तीन प्रकार की होती हैं। मध्या और प्रगल्भा के रूप में ये छ: प्रकार की नायिकायें पति के प्रेम के आधार पर ज्येष्ठा और कनिष्ठा के रूप में दो-दो प्रकार की होती हैं। इस प्रकार मुग्धा तथा छ:-छः प्रकार की मध्या और प्रगल्भा नायिकायें मिलकर स्वकीया के तेरह भेद बनते हैं। परकीया नायिका प्रौढ़ा तथा कन्यका के रूप में दो प्रकार की होती है। इस प्रकार तेरह प्रकार की स्वकीया, दो प्रकार की परकीया तथा साधारण स्त्री मिलकर नायिकाओं के सोलह भेद हुए। ये सभी सोलह प्रकार की नायिकायें स्वाधीनपतिका, खण्डिता, अभिसारिका, कलहान्तरिता, विप्रलब्धा, प्रोषितभर्तृका, वासकसज्जा तथा विरहोत्कण्ठिता के रूप में आठ-आठ प्रकार की होती हैं। अतः नायिकाओं के ये 128 भेद हुए जो उत्तम, मध्यम और अधम के रूप में पुनः तीन से गुणित होकर 384 हो जाते हैं। (3/68) नालिका-वीथ्यङ्ग। हास्य से युक्त प्रहेलिका ही नालिका होती है-प्रहेलिकैव हास्येन युक्ता भवति नालिका। यथा र.ना. में सुसङ्गता सागरिका
SR No.091019
Book TitleSahitya Darpan kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamankumar Sharma
PublisherVidyanidhi Prakashan
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Literature
File Size9 MB
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