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________________ 87 नाटिका नाटकम् नाटकम्-रूपक का एक प्रमुख भेद। आचार्य विश्वनाथ के द्वारा प्रस्तुत नाटक का लक्षण उसके विशिष्ट गुण अथवा तत्त्व का सूत्रात्मक कथन न होकर उसके स्वरूप का विशद व्याख्यान है। इसमें वस्तु, नेता और रस तीनों ही के विषय में विशिष्ट मान्यतायें प्रस्तुत की गयी है। नाटक का कथानक रामायणादि इतिहासप्रसिद्ध, विलास तथा समृद्धि से युक्त एवम् अनेक प्रकार के ऐश्वर्यों के वर्णन से सम्पन्न होना चाहिए जिसमें चार अथवा पाँच पात्रों को फलप्राप्ति में निरन्तर व्यापत दिखाया जाना चाहिए। नाटक का अग्रभाग गोपुच्छाग्रसमग्रम् होता है अर्थात् गोपुच्छ के बाला के समान इसका प्रारम्भ एकाध प्रमुख घटना से होना चाहिए जो मध्य में अनक पताका और प्रकरियों से समन्वित होता हुआ अन्त में उसी एक प्रधान कथानक में उपसंहृत हो जाता है। नाटक का विस्तार पाँच से दस अङ्कों तक का कहा गया है। रस तो इसका प्राणभूत ही है। यद्यपि निरन्तर अनेक रसो का प्रयोग होने का विधान है परन्तु केवल शृङ्गार अथवा वीर ही अङ्गी रस के रूप में मान्य है। अन्य रसों का प्रयोग अङ्गरूप में होता है। निर्वहण सन्धि में अद्भुत के प्रयोग का विधान है। नाटक का नायक कुलीन, उदात्त, प्रतापा, गुणवान् तथा दिव्य अथवा दिव्यादिव्य कोटि का हो सकता है-नाटक ख्यातवृत्तं स्यात्पञ्चसन्धिसमन्वितम्। विलासादिगुणवद् युक्त नानाविभूतिभिः। सुखदुःखसमुद्भूतिनानारसनिरन्तरम्। पञ्चाधिका दशपरास्तत्राङ्काः परिकीर्तिताः। प्रख्यातवंशो राजर्षिीरोदात्तः, प्रतापवान्। दिव्योऽथ दिव्यादिव्या वा गुणवान्नायको मतः। एक एव भवेदङ्गी शृङ्गारो वीर एव वा। अङ्गमन्य रसाः सर्वे कार्य निर्वहणेऽद्भुतम्। चत्वारः पञ्च वा मुख्या: कायव्यापृतपूरुषाः। गोपुच्छाग्रसमाग्रन्तु बन्धनं तस्य कीर्तितम्।। (6/6) नाटिका-उपरूपक का एक भेद। नाटिका में चार अङ्का का काल्पत कथावस्तु का विधान होता है। इसका नायक प्रसिद्ध धीरललित राजा होता है तथा नायिका अन्त:पुर से सम्बद्ध, सङ्गीत आदि में व्याप्त, नवान अनुराग से युक्त राजवंश की कन्या होती है। एक राजवंश की ही प्रगल्भा ज्येष्ठा नायिका होती है जो पद पद पर मान करती है। नायक और नायिका का मिलन उसी के वश में होता है तथा राजा उसी के भय से शङ्कित रहता है। इसमें कैशिकी वृत्ति (अतएव शृङ्गाररस) तथा स्वल्प विमर्शयुक्त सन्धिया
SR No.091019
Book TitleSahitya Darpan kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamankumar Sharma
PublisherVidyanidhi Prakashan
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Literature
File Size9 MB
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