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डिमः
जडता - पूर्वराग में काम की नवम दशा । अङ्गों तथा मन का चेष्टाशून्य हो जाना जडता है- जडता हीनचेष्टत्वमङ्गानां मनसस्तथा । यथाबिसिनीदलशयनीये निहितं सर्वमपि निश्चलमङ्गम् । दीर्घो निश्वासभर एष साधयति जीवतीति परम् । । यहाँ दीर्घनिश्वास से ही नायिका के जीवित होने की प्रतीति होती है, अन्यथा शरीर तो एकदम निश्चल हो गया है। (3/197)
जडता
जनान्तिकम् - नाट्योक्ति का एक प्रकार । त्रिपताक कर के द्वारा दूसरों को बचाकर कथानक के मध्य में ही दो पात्रों के मध्य जो परस्पर बातचीत होती है, उसे जनान्तिक कहते हैं - रहस्यन्तु यदन्यस्य परावृत्य प्रकाश्यते । त्रिपताककरेणान्यानपवार्यान्तरा कथाम् । अन्योन्यामन्त्रणं यत्स्याज्जनान्ते तज्जनान्तिकम् ।
इसमें अङ्गुष्ठ के द्वारा अनामिका अङ्गुलि को दबाकर शेष तीन अङ्गुलियों को मुँह से लगाकर बात की जाती है- ऊर्ध्वसर्वाङ्गुलिनामितानामिकं त्रिपताकलक्षकरम् । अपि च-पताके तु यदा वक्राऽनामिका त्वङ्गुलिर्भवेत् । त्रिपताकः स विज्ञेयः । ( 6 / 161 )
जुगुप्सा - बीभत्स रस का स्थायीभाव । दोषदर्शनादि के कारण वस्तु से उत्पन्न घृणा को जुगुप्सा कहते हैं - दोषेक्षणादिभिर्गर्हा जुगुप्सा विषयोद्भवा । हेमचन्द्र के अनुसार यह चित्त के सङ्कोच की स्थिति है। (3/186)
ज्येष्ठा-स्वकीया नायिका का एक भेद । नायक के प्रणय की अधिकता से युक्त मध्या और प्रगल्भा नायिका ज्येष्ठा कही जाती है। यथा-दृष्ट्वैकासनसंस्थिते प्रियतमे पश्चादुपेत्यादरादेकस्या नयने पिधाय विहितक्रीडानुबन्धच्छलः । ईषद्वक्रितकन्धरः सपुलकः प्रेमोल्लसन्मान - सामन्तर्हासलसत्कपोलफलकां धूर्तोऽपरां चुम्बति ।। इस पद्य में जिस नायिका का चुम्बन किया गया है, वह ज्येष्ठा नायिका है। (3/79)
डिम: - रूपक का एक भेद। डिम का अर्थ है - विप्लव । अतएव ऐतिहासिक कथावस्तु वाली इस नाट्यविधा में माया, इन्द्रजाल, सङ्ग्राम, क्रोध तथा उन्मत्तादिकों की चेष्टाओं का बाहुल्य रहता है। सूर्य और चन्द्रग्रहणों का सद्भाव तथा कैशिकी वृत्ति और विमर्शसन्धि का अभाव होता है। अभिनवगुप्त के अनुसार इसमें चार दिन की घटनाओं का उल्लेख होता है।