SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 50 कामदशा कलापकम् नायिका होती है-चाटुकारमपि प्राणनाथं रोषादपास्य या। पश्चात्तापमवाप्नोति कलहान्तरिता तु सा।। यथा-नो चाटु श्रवणं कृतं न च दशा हारोऽन्तिके वीक्षितः, कान्तस्य प्रियहेतवो निजसखीवाचोऽपि दूरीकृताः। पादान्ते विनिपत्य तत्क्षणमसौ गच्छन्मया मूढ़या, पाणिभ्यामवरुध्य हन्त सहसा कण्ठे कथं नार्पितः।। (3/95) कलापकम्-वाक्यार्थ यदि चार पद्यों में पूर्ण हो तो वह पद्य का कलापक नामक भेद होता है-कलापकं चतुर्भिश्च। (6/302) कष्टत्वम्-एक काव्यदोष। जहाँ सन्धि के कारण दुःश्रवता उत्पन्न हो जाए वहाँ कष्टत्व नामक दोष होता है। यथा-उर्व्यसावत्र तर्वाली मर्वन्ते चार्ववस्थितिः। परन्तु कोई वैयाकरण यदि वक्ता अथवा श्रोता हो तो यह गुण भी हो जाता है। यह वाक्यदोष है। (7/4) काकु:-कण्ठध्वनिविकार। वक्ता के द्वारा कहे गये वाक्य को श्रोता भिन्न कण्ठध्वनि के द्वारा. सर्वथा विपरीत रूप में कल्पित कर लेता है। भिन्नकण्ठध्वनि के द्वारा इस विशेष प्रकार की उच्चारणप्रणाली को ही काकु कहा जाता है-भिन्नकण्ठध्वनिर्धारैः काकुरित्यभिधीयते। (10/11) कान्ति:-नायिका का सात्त्विक अलङ्कार। कामदेव के उन्मेष से बढ़ी हुई शोभा को ही कान्ति कहते हैं-सैव कान्तिर्मन्मथाप्यायितद्युतिः। (देखें-शोभा) यथा-नेत्रे खञ्जनगञ्जने सरसिजप्रत्यर्थि पाणिद्वयं, वक्षोजौ करिकुम्भविभ्रमकरीमत्युन्नतिं गच्छतः। कान्तिः काञ्चनचम्पकप्रतिनिधिर्वाणी सुधास्यन्दिनी, स्मेरेन्दीवरदामसोदरवपुस्तस्याः कटाक्षच्छटा।। (3/108) कामदशा-उत्कट अनुराग के होने पर भी नायक और नायिका का समागम न होने पर उनकी जो दशा होती है, उसे कामशास्त्र आदि के ग्रन्थों में कामदशा के नाम से वर्णित किया गया है। यद्यपि महाकवियों की कृतियों में उनके अनन्त प्रकार वर्णित किये गये हैं तथापि आचार्यों ने प्रायः दस ही स्थितियों का वर्णन किया है यद्यपि कहीं-कहीं उनकी संख्या, नाम तथा क्रम के विषय में व्यत्यय भी दृष्टिगोचर होता है। ये इस प्रकार हैं-अभिलाषश्चिन्तास्मृतिगुणकथनोवेगसम्प्रलापाश्च। उन्मादोऽथ व्याधिर्जडता मृतिरिति दशात्र कामदशाः।। इनमें से प्रत्येक बाद वाली अवस्था पूर्व अवस्था से अधिक कष्ट देने वाली है। (3/195)
SR No.091019
Book TitleSahitya Darpan kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamankumar Sharma
PublisherVidyanidhi Prakashan
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Literature
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy