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________________ 164 वस्तु वाक्यगता लक्षणा प्रसादः' से लेकर 'ननु हस्ते गृहीत्वा प्रसादयैनाम् ' आदि सन्दर्भ है जहाँ राजा, विदूषक, सागरिका, सुसङ्गता का मेल है। (6/94) वस्तु-कथावस्तु। इसे ही वृत्त अथवा इतिवृत्त भी कहते हैं (वस्त्वितिवृत्तम्) जो काव्य का शरीर माना जाता है-इतिवृत्तं तु काव्यस्य शरीरं परिकीर्तितम्। कथावस्तु दो प्रकार की होती है-आधिकारिक और प्रासङ्गिका प्रकारान्तर से यह तीन प्रकार की भी होती है-प्रख्यात, उत्पाद्य और मिश्र। प्रख्यात इतिवृत्त इतिहास अथवा पुराण से गृहीत होता है, उत्पाद्य वस्तु कविकल्पित होती है तथा मिश्र इन दोनों का मिश्रण है। (6/24-25) वस्तूत्त्थापनम्-आरभटी वृत्ति का एक अङ्ग। माया आदि से उत्पन्न की गयी वस्तु को वस्तूत्थापन कहते हैं-मायाद्युत्स्थापितं वस्तु वस्तूत्थापनमुच्यते। यथा उ.रा. में यह पद्य-जीयन्ते जयिनो निशीथतिमिरव्रातैर्वियद्व्यापिभिर्भास्वन्तः सकला रवेरपि कराः कस्मादकस्मादमी। एते चोग्रकबन्धकण्ठरुधिरैराध्मायमानोदरा, मुञ्चत्याननकन्दरानलमुचस्तीव्रान्नवान् फेरवाः।। (6/156) वाक्केलिः-एक वीथ्यङ्ग। दो-तीन उक्तिप्रत्युक्तियों से जहाँ हास्य प्रकट हो उसे वाक्केलि कहते हैं-वाक्केलिस्यिसम्बन्धो द्वित्रिप्रत्युक्तितो भवेत्। दो-तीन उक्तियाँ यहाँ वस्तुतः उपलक्षणमात्र हैं, इनकी संख्या इससे अधिक भी हो सकती है। इसका उदाहरण यह पद्य है-भिक्षो! मांसनिषेवणं प्रकुरुषे, किं तेन मद्यं विना, मद्यं चापि तव प्रियं प्रियमहो वाराङ्गनाभिः सह। वेश्याप्यर्थरुचिः कुतस्तव धनं द्यूतेन चौर्येण वा, चौर्यद्यूतपरिग्रहोऽपि भवतो नष्टस्य कान्या गतिः।। कुछ आचार्य प्रारम्भ किये गये वाक्य की साकांक्ष परिसमाप्ति को वाक्केलि कहते हैं। यह मन्तव्य द.रू.कार का है-विनिवृत्त्याऽस्य वाक्कलिः द्वित्रिप्रत्युक्तितोऽपि वा। इसके उदाहरण के रूप में उन्होंने उ.रा.च. के प्रसिद्ध पद्य-त्वं जीवितं त्वमसि मे हृदयं द्वितीयं, त्वं कौमुदी नयनयोरमृतं त्वमङ्गे। इत्यादिभिः प्रियशतैरनुरुध्य मुग्धां, तामेव शान्तमथवा किमतः परेण।। को उद्धृत किया है कुछ आचार्य अनेक प्रश्नों का एक ही उत्तर होने पर भी वाक्केलि की स्थिति मानते हैं-अन्ये च, अनेकस्य प्रश्नस्यैकमुत्तरम्। (6/268) वाक्यगता लक्षणा-लक्षणा का एक भेद। आठ प्रकार की रूढ़ि तथा
SR No.091019
Book TitleSahitya Darpan kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamankumar Sharma
PublisherVidyanidhi Prakashan
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Literature
File Size9 MB
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