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________________ प्राप्त्याशा 123 प्रेक्षणम् प्राप्त्याशा-कार्य की तृतीय अवस्था। जहाँ फलप्राप्ति की सम्भावना उपाय से सम्भावित तथा अपाय की आशङ्का से अनिश्चययुक्त हो, कार्य की प्राप्त्याशा नामक स्थिति है-अपायापायशङ्काभ्यां प्राप्त्याशा प्राप्तिसम्भवः। यथा र.ना. के तृतीयाङ्क में वेषपरिवर्तन तथा अभिसारादि सङ्गम के उपाय होने पर भी वासवदत्तारूप अपाय की आशङ्का निरन्तर बनी रहती है, अतः यहाँ प्राप्त्याशा नामक अवस्था है। (6/57) प्रार्थना-गर्भसन्धि का एक अङ्ग। रति, हर्ष, उत्सव आदि की प्रार्थना प्रार्थनानामक सन्ध्यङ्ग है-रतिहर्षोत्सवानां तु प्रार्थनं प्रार्थना भवेत्। यथा र.ना. में राजा का सागरिका के प्रति यह कथन-शीतांशुर्मुखमुत्पले तव दृशौ पद्मानुकारौं करौ, रम्भास्तम्भनिभं तथोरुयुगलं बाहू मृणालोपमौ। इत्याह्लादकराखिलाङ्गि रभसान्निःशङ्कमालिङ्ग्य मामङ्गानि त्वमनङ्गतापविधुराण्येह्येहि निर्वापय।। गर्भसन्धि के प्रसङ्ग में प्रार्थना नामक सन्ध्यङ्ग उन्हीं आचार्यों के मत से गिनाया गया है जो इसी में गतार्थ होने के कारण निर्वहण सन्धि के प्रशस्तिनामक अङ्ग को नहीं मानते। जो वहाँ प्रशस्ति की गणना करते हैं उनके अनुसार प्रार्थना सन्ध्यङ्ग नहीं है, अन्यथा ना.शा. की चतुःषष्टि सन्ध्यङ्ग वाली परम्परा का निर्वाह नहीं हो पाता। (6/103) प्रासङ्गिकम्-कथावस्तु का एक प्रकार। प्रधानभूत आधिकारिक वस्तु के साधक इतिवृत्त को प्रासङ्गिक कहते हैं-अस्योपकरणार्थं तु प्रासङ्गिकमितीष्यते। यथा रा. की कथावस्तु में सुग्रीवादि का चरित्र प्रासङ्गिक इतिवृत्त है। (6/25) प्रियवचः-एक नाट्यलक्षण। पूज्य व्यक्ति में आदर प्रदर्शित करने के लिए हर्षभाषण प्रियवचन कहा जाता है-स्यात्प्रमाणयितुं पूज्यं प्रियोक्तिहर्षभाषणम्। यथा अ.शा. में यह पद्य-उदेति पूर्वं कुसुमं ततः फलं, घनोदयः प्राक्तदनन्तरं पयः। निमित्तनैमित्तिकयोरयं क्रमस्तव प्रसादस्य पुरस्तु सम्पदः।। (6/206) प्रेडणम्-उपरूपक का एक भेद। इस एकाङ्की उपरूपक में गर्भ और विमर्श सन्धि का अभाव होता है, सूत्रधार नहीं होता, न ही विष्कम्भक और प्रवेशक का प्रयोग किया जाता है। नान्दी और प्ररोचना का पाठ नेपथ्य में होता है। युद्ध, सम्फेट तथा सभी वृत्तियों का प्रयोग होता है। इसका नायक हीन कोटि का होता है-गर्भविमर्शरहितं प्रेक्षणं हीननायकम्।
SR No.091019
Book TitleSahitya Darpan kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamankumar Sharma
PublisherVidyanidhi Prakashan
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Literature
File Size9 MB
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