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________________ परम्परितरूपकम् 101 परम्परितरूपकम् अश्लिष्ट शब्दों से भी उत्पन्न हो सकता है, इस प्रकार इसके दो भेद श्लिष्टशब्दनिबन्धन तथा अश्लिष्टशब्दनिबन्धन होते हैं। ये दोनों ही भेद केवल और माला के रूप में पुन: दो-दो प्रकार के होते हैं। तद्यथा यदि एक ही आरोप किसी अन्य आरोप का कारण हो तो वह केवल परम्परित तथा यदि अनेक आरोप अनेक अन्य आरोपों के कारण हों तो वह माला परम्परित होता है। आहवे जगदुद्दण्डराजमण्डलराहवे। श्री नृसिंहमहीपाल स्वस्त्यस्तु तव बाहवे।। तथा-पद्मोदयदिनाधीशः सदागतिसमीरणः। भूभृदावलिदम्भोलिरेक एव भवान्भुवि।। इनमें से प्रथम पद्य में राज तथा द्वितीय पद्य में पद्मोदय, सदागति और भूभृत् पद श्लिष्ट हैं। अतः ये श्लिष्टशब्दनिबन्धनपरम्परितरूपक के उदाहरण हैं। प्रथम पद्य में 'राज' पद राजा तथा चन्द्र दोनों अर्थों का वाचक है। यहाँ राजाओं मे चन्द्र का आरोप ही बाहु में राहु के आरोप का कारण है, अतः यहाँ केवलपरम्परित रूपक है तथा द्वितीय पद्य में पद्मोदय पद के दो अर्थ 'कमलों का उदय' तथा 'लक्ष्मी की वृद्धि' हैं। लक्ष्मी की वृद्धि पर कमलों के विकास का आरोप होने के कारण ही राजा पर सूर्य का आरोप होता है। द्वितीय चरण में सज्जनों के आगमन पर सदागमन का आरोप होने के कारण ही राजा पर वायु का आरोप होता है तथा तृतीय चरण में राजाओं पर पर्वत का अरोप होने के कारण ही स्तूयमान राजा पर वज्रत्व का आरोप होता है। अत: यह श्लिष्टशब्दनिबन्धन मालापरम्परित का उदाहरण है। पान्तु वो जलदश्यामाः शाङ्गज्याघातकर्कशाः। त्रैलोक्यमण्डपस्तम्भाश्चत्वारो हरिबाहवः।। इस पद्य में त्रैलोक्य में मण्डप का आरोप ही विष्णु की भुजाओं में स्तम्भत्व के आरोप का कारण है, यह अश्लिष्टशब्दनिबन्धनकेवलपरम्परित का उदाहरण है तथा-मनोजराजस्य सितातपत्रं, श्रीखण्डचित्रं हरिदङ्गनायाः। विराजते व्योमसरः सरोज, कर्पूरपूरप्रभमिन्दुबिम्बम्।। इस पद्य में अश्लिष्टमालापरम्परित है क्योंकि यहाँ कामदेव पर राजा का आरोप होने के कारण चन्द्रमा पर श्वेत छत्र का, पूर्व दिशा पर कामिनी का आरोप होने के कारण चन्द्रमा पर तिलक का तथा आकाश पर सरोज का आरोप होने के कारण चन्द्रमा पर कमल का आरोप किया गया है। इस सन्दर्भ में कविराज ने कुछ ऐसे आचार्यों का मत उद्धृत किया है जो भुजा आदि में राहु आदि के आरोप को राजमण्डल में चन्द्रमण्डल
SR No.091019
Book TitleSahitya Darpan kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamankumar Sharma
PublisherVidyanidhi Prakashan
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Literature
File Size9 MB
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