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________________ प्राकृतप्रकाशे___ मध्याह्न शब्द में हकार का लोप हो। हकार का लोप हो गया। अवशिष्ट न को २५ से ण हो गया। ६ से द्वित्व । ३३ से ध्य को झ आदेश । ६ से द्विस्व । ७ से जकार । मज्झण्णो ॥७॥ हहह्मेषु नलमां स्थितिरूव॑म् ॥८॥ ह्र-ह-म-इत्येतेषु अधः स्थितानां नकारलकारमकाराणां स्थितिरूवं. मुपरिष्टाद्भवति । ह्रस्य, पुव्वण्हो (४-१ पू: पु, ३-३ रोपः, ३-५० वि०, २-४२ = = ण, ५-१ ओ) । अवरण्हो (२-१५ प्व , ४-१ रार, शे० पू०)। ह्रस्य, अल्हादो (४-१ आ = अ, ५-१ ओ)। हस्य, वम्हणो ( ३-३ लोपः, ४-१ आ = अ, ५-१ ओत्वम् ) ॥ ८॥ 'हहह्मेषु नलमां स्थितिरूध्वम्-एषु संयोगेषु अधः स्थितानां नलमा वर्णानां स्थितिः हकारस्य ऊर्ध्व भवति । संयोगवर्णयोः परिवृत्तिर्भवतीत्यर्थः । (ह) पुवाहो । अवरण्हो । (ह) कल्हारं । आल्हादो। (ह्म ) जिम्हो । बम्हणो ॥ ८ ॥ हम इनके संयोग में न-ल-म इन वर्गों की हकार के ऊपर स्थिति हो जाती है। अर्थात् हकार का उक्त वर्णों के साथ व्यत्यय हो जाता है । (पूर्वाहः) ५९ से दीर्घ ऊ को हस्व उकार । ४ से रेफलोप । ६ से द्वित्व । उक्त सूत्र से हकार-नकार की परिवृत्ति । ५८ से अकार । २५ से न कोण । पुवण्हो । (अपराह्नः) पूर्ववत् हकार-नकार की परिवृत्ति । न को ण, हस्व अकारादेश। १८ से प को वकारादेश । अवरोहो। (कहारम्) परिवृत्ति । कल्हारं। (आह्लादः) आल्हादो । व्यावहारिक आह्लाद शब्द है, अतः 'कगचज' सूत्र से प्रायः पद से दकार का लोप नहीं हुआ। (जिह्मः)जिम्हो । (ब्राह्मणः) ह-म की परिवृत्ति । ५ से रेफलोप । ५८ से हस्व अकारादेश । बम्हणो ॥८॥ युक्तस्य ॥९॥ . अधिकारोऽयमापरिच्छेदसमाप्तः, यदित ऊर्ध्वमनुक्रमिष्यामो युक्तस्येत्येवं वेदितव्यम् । वक्ष्यति 'अस्थनि' (सू०११)। अट्ठी (३-११ स्थ= ट् , ३-५० द्वि०, ३-५१ =ट् ,५-१८ दीर्घः) अस्थि । युक्तग्रहणं हलोऽन्त्यस्य मा भूत् ॥९॥ युक्तस्य-अधिकारोऽयम् । अतः परं ये आदेशा वक्ष्यन्ते ते युक्तस्यैवेति वेदितव्यम् । पूर्वमेकदेशस्य विधिरासीत् । भापरिच्छेदसमातेरयमधिकारः ॥९॥.. 'युक्तस्य' यह अधिकार-सूत्र है। परिच्छेद समाप्ति तक जो कुछ कार्य होंगे, वे युक्त वर्ण को होंगे। प्रथम-वर्ण के एकदेश की विधि कही है, अब युक्त में होगी ॥९॥ ष्टस्य ठः॥१०॥ ट इत्येतस्य युक्तस्य ठकारो भवति। लट्ठी (२-३२ य = ल , शे० पू०)। दिट्ठी (१-२८ सू० स्प०, शे० पू०)। यष्टिः, दृष्टिः ॥ १०॥ ष्टस्य ठः-अस्य ठः स्यात् । दिट्ठी । सिट्ठी । मुट्ठी। दह्र । गठं । 'इष्टा
SR No.091018
Book TitlePrakruta Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagganath Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size14 MB
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