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सप्तमः परिच्छेदः
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अभूत् अभवत् बभूव इत्यर्थः । लही | अलब्ध, अलभत, लेभे इति । लभ् धातोः 'शेषाणामदन्तता' ७१७८ इति श्रदन्तत्वम् । ई आदेशे, 'क्वचिदपि लोपः ' इत्यलोपे, 'खघथघभां हः' २१२४ इति हः ॥ २३ ॥
ईअ इति । भूत-पद से सामान्य भूतकाल का ग्रहण होगा । अतः अद्यतन, अनद्यतन, परोक्ष इन तीनों का ग्रहण होगा । तो यह अर्थ होगा - अतीत काल में उत्पन्न, अनेकाच धातु से पर तिवादिक प्रत्ययों को 'ईअ' यह आदेश होता है । भू धातु से लङ् लुङ्-लिट् लकार में तिवादिक आदेश । 'भुवो हो हुवौ' इससे भूधातु को हुन आदेश । 'हुव' यह अनेकाच् है, अतः तिबादिकों को ईज आदेश होगा । 'क्वचिदपि लोप:' इससे हुव के अकार का लोप हुवीअ । अभवत् अभूत्, बभूव इन तीनों में हुवीअ यही होगा। एवम्-लहीअ । लभ्-धातु से अतीत काल में तिबादिक होने पर 'शेषाणामदन्तता' इससे अदन्त होने पर भकार सस्वर हो जायगा । तब अनेकाच् होने से ई आदेश । 'क्वचिदपि लोपः' इससे अकार का लोप । 'खघथधकभां हः ' इससे भकार को हकार, लहीअ | अलब्ध, अलभत, लेभे-इन तीनों में लहीअ यही होगा ॥ २३ ॥
एकाचो हीअ ॥ २४ ॥
भूते काले एकाचो धातोः प्रत्ययस्य हीअ इत्ययमादेशो भवति । होहीअ । (स्पष्टम् ) अभूत् ॥ २४ ॥
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एकाचो हीअ - एकाचो धातोः परेषां भूतकालप्रत्ययानां ही इत्यादेशः स्यात् । होही । अभूत् अभवत् बभूव । काही । अकार्षीत्, अकृत । अकरोत् अकुरुत । चकार, चक्रे । 'स्यात्तिङयं ही एकाचो वर्तमानेऽपि भूतवत्' । वर्तमानेसोही । शृणोति ॥ २४ ॥
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एकाचो - इति । एकाच धातु से पर भूतकालसम्बन्धी प्रत्ययों को 'हीअ' आदेश हो | भूधातु से लड़-लुङ्-लिट् इन तीनों लकारों में 'भुवो होहुवौ' इससे हो आदेश । उक्त सूत्र से ही आदेश । होहीअ । तीनों लकारों में सर्वत्र प्रथमपुरुष, मध्यमपुरुष, उत्तमपुरुष एवं तीनों वचनों में यही होगा । कृधातु, 'कृञः का भूतभविष्य तोश्च' इससे कृधातु को 'का' आदेश, उक्त सूत्र से तिबादिक को हीअ आदेश होगा । काहीअ । तीनों लड-लुङ्-लिट् में समान रूप होगा । एकाच् धातु से पर तिङादिकों को भूतकाल के सदृश 'वर्तमान काल में भी 'हीभ' आदेश होगा । सोहीअ । श्रुधातु से वर्तमानकाल में तिबादिकों को हीभ आदेश, रेफलोप, उकार को ओकार । शृणोति शृण्वन्ति, शृणोषि शृणुथ - इत्यादिकों में सर्वत्र सोहीअ यही होगा । वर्तमान में 'अ' आदेश काचित्क है ॥ २४ ॥
अस्तेरासिः ॥ २५ ॥
अस्तेर्भूते काले एकस्मिन्नर्थे आसि इति निपात्यते ' । आसि राआ ।
१. तेनास्तेरास्यहेसी ८|३ | १६४ अस्तेर्धातोस्तेन भूतार्थेन प्रत्ययेन सह आसि, असि इत्यादेशौ भवतः । आसि सो, तुमे, अहं वा । जे आसि, ये आसन्नित्यर्थः । अहं अहसि । हे० ।