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________________ . .. प्राकृतप्रकाशे १२६ बह्माणो ब्रह्मणो वा स्याद् यूनो प्राण इत्यपि । ... राज्ञो राप्राण प्रादेशो प्राव्णो गावाण इत्यपि ॥ . . . . 'अर्यम्णस्त्वनमाणो वा पूष्णः पूसाण इत्यपि। .. श्रद्धाणो त्वध्वनः स्थाने ब्रह्माद्या एवमादयः ॥ सर्वेष्वपि प्रादेशेषु अकारान्तत्वात् प्रामशब्दवद् रूपाणि ज्ञेयानि । तत एव तेषां साधुत्वं कल्पनीयम् । अनादेशपक्षे तु इदद्वित्वे आत्मन्शब्दवत् , अन्यविभक्तिषु राजन्शब्दवदविशेषेण साधनीयानि ॥ ४७ ॥ इति 'चन्द्रिका व्याख्यायां पञ्चमः परिच्छेदः । ब्रह्मेति । आत्मन्-शब्द की तरह ब्रह्मादिकों को भी जानना, अर्थात् जैसे आत्मन्शब्द को अप्पाण यह निपात आदेश होता है, ऐसे ही ब्रह्मन्-शब्द को भी बम्हाण आदेश होगा और बम्हाण-शब्द के रूप तत्साधुत्व अकारान्त ग्रामशब्द के समान जानना। (१) बम्हाणो, बम्हाणा । (२) बम्हाणं, बम्हाणा। बम्हाणेण, बम्हाणेहिं । इत्यादि । और जहाँ बम्हाण आदेश नहीं होगा, वहाँ राजन्-शब्द के समान इकारादेश और णकारद्विस्व के अतिरिक्त सब प्रक्रिया और रूप जानना । ब्रह्मादिक कौन-कौन हैं और किसको क्या आदेश होता है यह बताते हैं-बम्हाणो इति । ब्रह्मन्-शब्द को बम्हाण, युवन-शब्द को जूआण, राजन् को राआण, ग्रावन् को गावाण, अर्थमन् को सजमाण, पूषन् को पूसाण और अध्वन् को अद्धाण आदेश होते हैं। ये ब्रह्मादिक बताये हैं। महाकवि-प्रयोगानुकूल तथा लोकव्यवहारानुकूल यह परिगणन कहा है। इन आदेशों में अकार अन्त पर है, अकारान्त शब्द के समान रूपसाधुरव करना, जैसा प्रथम बता आये हैं। और जहाँ आदेश नहीं होगा वहाँ राजन्-शब्द के समान साधुरव है । इति ॥ ७ ॥ टिप्पणी-भामह-व्याख्यानुकूल पञ्चम परिच्छेद समाप्त है। सर्वादिविभक्तिसम्बन्धी कार्यविधायक षष्ठ परिच्छेद मानते हैं, परन्तु वस्तुतः सुम्विधि-सम्बन्धी यह परिच्छेद है, अतः चाहे सर्वादिगण के कार्यविधायक सूत्र हो चाहे इतर असर्वादि के सुब्बिधिसम्बन्धी कार्य-विधायक सूत्र हो सब का सुब्विधि में परिगणन होगा। . अतः अभी पञ्चम ही परिच्छेद है। उसकी समाप्ति भामह के षष्ठ परिच्छेद की समाप्ति के साथ है । अस्तु । इति 'प्रदीप' नामकहिन्दीव्याख्यायां पञ्चमः परिच्छेदः । - - १. 'उदा उच्छाण इत्येवं-इति सुबोधिन्या पाठः।
SR No.091018
Book TitlePrakruta Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagganath Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size14 MB
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