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________________ उस सम्बन्ध का आत्मा के साथ किस प्रकार सम्मिश्रण होता है, किस प्रकार उनमें फलदानत्व घटित होता है, और कितने समय तक कर्म आत्मा के साथ लगे रहते हैं, इसका विस्तृत और स्पष्ट विवेचन इस ग्रन्थ में हुआ है। मोहनीय कर्म में दर्शन - मोहनीय व चारित्र - मोहनीय दोनों ही गर्भित हैं । मोहनीय कर्म का इतना सूक्ष्मतम व मौलिक विवेचन अन्यत्र दुर्लभ है। आचार्य यतिवृषभ ने इस ग्रन्थ पर 6,000 श्लोक प्रमाण पाहुडचुण्णिसुत्त नामक चूर्णि की रचना की है, जिसमें राग-द्वेष का विशेष विवेचन अनुयोगद्वारों के आधार पर किया गया है। कषायपाहुड पर आचार्य वीरसेन और उनके शिष्य जिनसेन ने जयधवला टीका लिखी । 20,000 श्लोक प्रमाण लिखने के पश्चात् आचार्य वीरसेन स्वर्गवासी हो गये। तब उनके शिष्य आचार्य जिनसेन ने अवशिष्ट भाग पर 40,000 श्लोक प्रमाण लिख कर ई. सन् 837 में इस टीका ग्रन्थ को पूरा किया । आचार्य कुन्दकुन्द एवं उनके ग्रन्थ प्राकृत भाषा के महान विद्वान् तथा जैन सिद्धान्त साहित्य के प्ररूपक आचार्य कुन्दकुन्द का नाम जैनाचार्यों में सर्वप्रथम लिया जाता है। भगवान् महावीर एवं गौतम गणधर के पश्चात् मंगलं कुन्दकुन्दाद्यो कहकर किसी भी मंगल कार्य के प्रारंभ में उनका स्मरण किया जाता है। आचार्य कुन्दकुन्द दक्षिण भारत के निवासी थे। उनका मूल नाम पद्मनन्दी था । उनके अपर नामों में वक्रग्रीवाचार्य, एलाचार्य, गृद्धपिच्छाचार्य आदि का भी उल्लेख मिलता है। आचार्य कुन्दकुन्द के समय को लेकर विद्वानों में मतभेद है। डॉ. ए. एन. उपाध्ये ने विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर इनका समय ई. सन् की प्रथम शताब्दी माना है । आचार्य कुन्दकुन्द ने भारतीय संस्कृति को तत्त्वज्ञान ही नहीं, अध्यात्म प्रधान आचार-विचार भी प्रदान किये हैं। उन्होंने आत्म-ज्ञान व आध्यात्मिक साहित्य द्वारा भौतिक सुखों व सांसारिक लिप्सा को त्यागने का मार्ग बताकर भौतिकता के अंधकार में आध्यात्मिकता की ज्योति को प्रज्वलित किया। उनके अनुसार ज्ञान व दर्शन के साथ चारित्र का समन्वय करने पर ही मुक्ति शीघ्रतागामी हो सकती है। आत्मा की मुक्ति के लिए उन्होंने बाह्य संयमित जीवन के साथ-साथ ध्यान व तपश्चरण पर भी बल दिया । | 63
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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