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________________ महोपाध्याय श्री विनयसागरजी के प्रति मैं विशेष रूप से कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने अत्यन्त व्यस्त होते हुए भी एक बार इस पुस्तक का अवलोकन कर मुझे बहुमूल्य सुझाव दिये। पितृतुल्य अपने गुरुजन डॉ० कमलचन्द सोगाणी का भी मैं हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने मेरे अध्ययन क्रम को सदैव बढ़ाया। मेरे प्रारंभिक गुरु डॉ० प्रेम सुमनजी का भी मैं आभार व्यक्त करती हूँ, जिनकी प्रेरणा व मार्ग-दर्शन मुझे सदैव प्राप्य रहा है। इस अवसर पर मैं प्राकृत भारती अकादमी के पदाधिकारियों एवं नाकोड़ा ट्रस्ट के पदाधिकारियों का भी आभार व्यक्त करना चाहती हूँ, जिन्होंने इस पुस्तक को प्रकाशित किया। प्राकृत भारती अकादमी के प्रबन्ध सम्पादक श्री सुरेन्द्रजी बोथरा एवं प्रचार-प्रमुख श्री एम०ए० राकेशजी का भी मैं आभार व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने सदैव मेरा मार्ग-दर्शन किया। प्राकृत भारती अकादमी में संचालित होने वाले पुस्तकालय की अध्यक्षा श्रीमती रीना जैन एवं श्री विजयजी के प्रति मैं आभार व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने विभिन्न मुद्रित ग्रंथ उपलब्ध कराने में मेरी सदैव सहायता की। अपनी सहयोगी श्रीमती चन्द्रा बाफना एवं डॉ० विनय कुमार को भी मैं धन्यवाद देना चाहूँगी, जिन्होंने इस पुस्तक के प्रूफ संशोधन में सहायता की। अंत में मैं अपने परिवारजन विशेष रूप से अपने जीवनसाथी डॉ० सी.एस. डागा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ, जिनके सहयोग से मुझे अध्ययन-अनुशीलन का पर्याप्त समय प्राप्त होता रहा है। - डॉ० तारा डागा 5 झ 33, जवाहर नगर, जयपुर (VIII)
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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