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________________ परिचय प्रस्तुत किया है। इसके पश्चात् डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री का प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास एवं पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी से प्रकाशित जैन साहित्य का बृहद् इतिहास (7 भागों में) भी प्रकाशन में आये। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्राकृत ग्रंथों के अनुवाद एवं उनकी भूमिकाओं में इस साहित्य के महत्त्वपूर्ण पक्षों पर प्रकाश डाला गया है। ये सभी ग्रंथ प्राकृत भाषा के विशिष्ट विद्वानों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इन सब रचनाओं के उपरांत भी प्राकृत भाषा एवं उसके साहित्य के प्रारम्भिक अध्येताओं के लिए सरल व सुबोध भाषा में लिखी पुस्तक की आवश्यकता बना रही, जो कि प्राकृत भाषा में रचित साहित्य की संक्षिप्त रूप से जानकारी प्रदान कर सके। इसी आवश्यकता को देखते हुए उपर्युक्त ग्रंथों की मदद से प्राकृत साहित्य की रूप-रेखा आपके समक्ष एक प्रयास है। इस पुस्तक में प्राकृत साहित्य की विभिन्न विधाओं के प्रमुख ग्रंथों का परिचय क्रमवार प्रस्तुत किया गया है। भाषा को सरल एवं सुबोध रखा गया है, जिससे कि साधारण से साधारण पाठक को समझने में कठिनाई न हो। इसके अतिरिक्त 21वीं शताब्दी में आधुनिक पद्धति से लिखे गये कुछ प्रमुख ग्रंथों की जानकारियाँ भी इसमें प्रस्तुत की गई हैं। इस ग्रंथ की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि प्रायः सभी प्राकृत ग्रंथों के नाम शीर्षक में प्राकृत भाषा में दिये गये हैं, ताकि . पाठक इन ग्रंथों के प्राकृत नामों से भी परिचित हो सकें। प्राकृत भाषा एवं प्राकृत साहित्य के अध्ययन-अध्यापन हेतु विभिन्न संस्थाओं द्वारा चलाये जा रहे पाठ्यक्रमों के लिए भी इसकी उपयोगीता रहेगी। जैन विद्या एवं प्राकृत से नेट एवं स्लेट देने वाले विद्यार्थियों के लिए भी यह पुस्तक उपयोगी होगी, ऐसा मेरा विश्वास है। आपके सुझाव मेरे लिए बहुमूल्य होंगे। आभार : गुरुजनों के आशीर्वाद से प्राकृत साहित्य की रूप-रेखा पुस्तक में प्राकृत भाषा एवं उसमें रचित साहित्य का संक्षिप्त एवं क्रमवार परिचय प्रस्तुत करने । का प्रयास किया गया है। इस अवसर पर सर्वप्रथम मैं उन आचार्यों, कवियों, विद्वानों एवं साहित्य सृजनकर्ताओं के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ, जिनकी रचनाओं का उपयोग मैंने इस पुस्तक के लेखन में किया है। साहित्य वाचस्पति (VII)
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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