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________________ टीका साहित्य दार्शनिक दृष्टि से आगम साहित्य को और अधिक विस्तार से समझाने हेतु प्राचीन मनीषी आचार्यों द्वारा जिस साहित्य की रचना की गई, वह टीका साहित्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ। टीकाएँ संस्कृत में लिखी गई हैं। कहीं कहीं तथा विशेषतः कथानकों में प्राकृत का आश्रय लिया गया है। टीकाओं की रचनाओं का क्रम तीसरी शताब्दी से ही प्रारम्भ हो गया था। वि.सं. की तीसरी शताब्दी के आचार्य अगस्त्यसिंह ने अपनी दशवैकालिकचूर्णि में अनेक स्थानों पर प्राचीन टीकाओं का संकेत किया है। आगम साहित्य पर सर्वप्रथम संस्कृत भाषा में टीका लिखने वाले जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण हैं। उन्होंने अपने विशेषावश्यकभाष्य पर स्वोपज्ञ वृत्ति भी लिखी, जिसे बाद में कोट्याचार्य ने पूर्ण की। वर्तमान में जो टीकाग्रन्थ प्राप्त हैं, उनमें आचार्य हरिभद्रसूरि (आठवीं शताब्दी) के ग्रन्थों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उनकी आवश्यक, दशवैकालिक, नंदी एवं अनुयोगद्वार पर टीकाएँ उपलब्ध हैं। इनके पश्चात् आचारांग व सूत्रकृतांग पर आचार्य शिलांकाचार्य (ई.सन्. 876) की टीकाएँ उपलब्ध हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण टीकाओं में वादिवेताल शान्तिसूरि द्वारा लिखित उत्तराध्ययनटीका तथा नेमिचन्द्रसूरि द्वारा रचित उत्तराध्ययन की सुखबोधा टीका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। इन दोनों ही टीकाग्रन्थों में अनेक प्राकृत कथाएँ एवं आख्यान वर्णित हैं, जो प्राकृत कथा साहित्य के विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। 12वीं शताब्दी के विद्वान अभयदेवसूरि नवांगी टीकाकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने स्थानांग, समवायांग, व्याख्याप्रज्ञप्ति, ज्ञाताधर्मकथा, उपासकदशांग, अंतकृद्दशा, अनुत्तरौपपातिकसूत्र आदि आगमों पर टीकाएँ लिखी हैं। अपने इन टीका ग्रन्थों में उन्होंने आगमिक गूढ़ बातों को अत्यंत सरलता व सुगमता के साथ अभिव्यक्त किया है। आगम टीकाकारों में 12वीं शताब्दी के आचार्य मलयगिरि का स्थान भी विशिष्ट रहा है। उन्होंने अनेक आगम-ग्रन्थों पर टीकाएँ लिखी हैं। अन्य टीकाकारों में द्रोणाचार्य, हेमचन्द्र, क्षेमकीर्ति आदि आचार्यों के नाम उल्लेखनीय हैं। आगम ग्रन्थों पर लिखी गई ये टीकाएँ अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण हैं। इनमें केवल आगमिक सिद्धान्तों व तत्त्वों का ही विवेचन नहीं हुआ है,
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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