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________________ भाषाएँ हैं। दोनों की अपनी अलग पहचान है। प्राकृत में सरलता की दृष्टि से जो बाधा रह गयी थी, उसे अपभ्रंश भाषा ने दूर करने का प्रयत्न किया। कारकों, विभक्तियों, प्रत्ययों के प्रयोग में अपभ्रंश निरन्तर प्राकृत से सरल होती गयी है। अपभ्रंश का उद्भव और विकास अपभ्रंश भाषा के उद्भव व विकास का भी अपना एक इतिहास है। अपभ्रंश का सर्वप्रथम प्रयोग पतंजलि के महाभाष्य में मिलता है। पतंजलि का समय विद्वानों ने ई. पू. 150 वर्ष माना है। पतंजलि के महाभाष्य में अपभ्रंश शब्द का प्रयोग किसी भाषा के वाचक के अर्थ में नहीं हुआ है, अपितु अपाणिनीय शब्दों के अर्थ में किया गया है। पतंजलि के अनुसार एक शब्द के अनेक अपभ्रंश हो सकते हैं, जैसे गौ शब्द के गावी, गोणी, गोता आदि । पतंजलि के पश्चात् ई. सन् की प्रथम शताब्दी में आचार्य भरत ने अपने नाट्यशास्त्र में अपभ्रंश के लिए उकारबहुला भाषा का प्रयोग किया है। भरत के नाट्यशास्त्र के साक्ष्य के आधार पर यही प्रमाणित होता है कि इस समय तक अपभ्रंश आदि भाषाएँ, जिनका प्रयोग हिमवत् प्रदेश, सिन्धु व सौवीर में होता था, साहित्यिक रूप को धारण नहीं कर सकी थी। पाँचवीं शताब्दी के आचार्य भर्तृहरि ने संस्कृत से इतर शब्दों को अपभ्रंश की संज्ञा दी है। इस प्रकार पाँचवीं शताब्दी तक संस्कृत से इतर भाषा के लिए अपभ्रंश का प्रयोग हुआ है। आधुनिक विद्वानों ने भी अपने तर्क प्रस्तुत करते हुए अपभ्रंश शब्द की सुन्दर व्याख्या की है। अपभ्रंश का अर्थ है – लोकभाषा या जनबोली। लोकभाषा में विभिन्न क्षेत्रों में एक ही अर्थ के लिए विभिन्न शब्द प्रयोग होते थे, जैसे संस्कृत शब्द माता के लिए लोकभाषाओं में मातु, माई, माया, मावो आदि शब्द प्रयुक्त होते थे। शब्दों का यह नया रूप ग्रहण करना लोकजीवन की जीवन्तता का द्योतक है। यह शब्दों का दूषण नहीं भूषण है। यही कारण है कि छठी शताब्दी के अलंकारशास्त्री भामह ने अपने ग्रन्थ काव्यालंकार में अपभ्रंश को काव्यशैलियों की भाषा कहा है। स्पष्ट है कि जो अपभ्रंश शब्द ई. पूर्व द्वितीय शताब्दी तक अपाणिनीय शब्दों के लिए प्रयुक्त होता था, वही छठी शताब्दी तक आते-आते साहित्यिक अभिव्यक्ति
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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