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________________ दोनों ही नाटकों में प्राकृत की प्रधानता है। दूसरे शब्दों में यदि इन्हें प्राकृत के नाटक ही कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। चारुदत्त नाटक में बसंतसेना व चारुदत्त की प्रणय कथा वर्णित है। इसी कथावस्तु के आधार पर बाद में शूद्रक ने मृच्छकटिकम् की रचना की। चार अंकों के इस नाटक के द्वितीय अंक में तो संस्कृत का प्रयोग ही नहीं है। चतुर्थ अंक में केवल एक पात्र संस्कृत बोलता है। शेष दो अंकों में भी प्राकृत की प्रधानता है। स्वप्रवासवदत्ता सात अंकों का नाटक है। इसके सातों अंकों में प्राकृत का प्रयोग हुआ है। प्रतिमा नाटक में भी सात अंक हैं, जिसमें राम वनवास से लेकर रावण वध तक की घटनाओं का वर्णन है। इस नाटक में प्रयुक्त प्राकृत प्राचीन प्रतीत होती है। इसके अतिरिक्त बालचरित, पंचरात्र आदि नाटकों में भी प्राकृतों का प्रयोग हुआ है। भास के नाटकों में प्रयुक्त विभिन्न प्राकृतों में शौरसेनी का प्रयोग अधिक हुआ है। मागधी के भी भिन्न-भिन्न रूप इसमें परिलक्षित हुए हैं। कालिदास के नाटक महाकवि कालिदास की गणना चौथी शताब्दी के श्रेष्ठतम् नाटककारों में की गई है। अभिज्ञानशाकुन्तलम्, मालविकाग्निमित्रम् एवं विक्रमोर्वशीयम् ये तीन इनके प्रसिद्ध नाटक हैं। इन तीनों ही नाटकों में कवि कालिदास ने प्राकृत भाषा का बहुलता से प्रयोग किया है। उनके नाटकों में गद्य के लिए शौरसेनी प्राकृत का तथा पद्य के लिए महाराष्ट्री प्राकृत का प्रयोग हुआ है। अभिज्ञानशाकुन्तलम् में दुष्यंत व शकुन्तला की प्रेम कथा वर्णित है। प्रेम व सौन्दर्य की अद्भुत अनुभूति उपस्थित करने वाला यह नाटक तत्कालीन राजनैतिक व सामाजिक जीवन की मर्मस्पर्शी झांकी भी प्रस्तुत करता है। विभिन्न प्राकृत भाषाओं के प्रयोग की दृष्टि से राजा का साला, शौरसेनी में बोलता है। नपुंसक, ज्योतिषी और विक्षिप्त भी शौरसेनी का प्रयोग करते हैं। स्त्री पात्र एवं शिशु महाराष्ट्री. का तथा पुलिस कर्मचारी, मछुए, सर्वदमन आदि मागधी का प्रयोग करते हैं। सप्तम अंक में तापसी के कथनों में प्रयुक्त प्राकृत भाषा को देखने से कालिदास की प्राकृत सम्बन्धी योग्यता और समृद्धता दोनों का अनुमान लगाया जा सकता है।
SR No.091017
Book TitlePrakrit Sahitya ki Roop Rekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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