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________________ ६४ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा रचना-शैली सूत्रकृताङ्ग सूत्र की चूर्णि में सूत्र रचना की (१) गद्य, (२) पद्य, (३) कथ्य, और (४) गेय – ये चार शैलियाँ प्राप्त होती हैं । " दशवेकालिक नियुक्ति में (१) ग्रथित और (२) प्रकीर्णक- इन दो शैलियों का निर्देश है। आचार्य हरिभद्र ने ग्रथित शैली का अर्थ 'रचना शैली' और प्रकीर्णक का अर्थ 'कथा शैली' किया है। निर्युक्ति में ग्रथित शैली के (१) गद्य, (२) पद्य, (३) गेय, और (४) चौर्ण - ये चार प्रकार बताये हैं । * जिसे दशवेकालिक निर्युक्ति में प्रकीर्णक कहा गया है उसे ही सूत्रकृताङ्ग चूर्णि में कथ्य कहा है। आचारांग के प्रथम श्रुतस्कन्ध ब्रह्मचर्याध्ययन को गद्य के विभाग में रखा है जबकि दशवैकालिक चूर्णि में ब्रह्मचर्याध्ययन को चौर्ण पद माना है ।" आचार्य हरिभद्र का भी यही मन्तव्य है । आचारांग की रचना केवल गद्य में ही नहीं है अतः दशवेकालिक का मत अधिक तर्कसंगत है । दशवेकालिक नियुक्ति में चौर्ण पद की व्याख्या करते हुए लिखा है - 'जो अर्थबहुल, महार्थ, हेतु, निपात और उपसर्ग से गंभीर, बहुपाद, अव्यवच्छिन्न (विराम रहित) गम और नय से विशुद्ध होता है वह चौर्णपद है । प्रस्तुत परिभाषा में 'बहुपाद' शब्द व्यवहृत हुआ है। जिसका तात्पर्य है जिसमें पाद का अभाव होता है वह गद्य है किन्तु चौर्ण वह है जिसमें गद्य साथ बहुपाद (चरण) भी होते हैं। आचारांग में गद्य के साथ-साथ १ तं चउग्विधं तं जहा गद्य, पद्य, कथ्यं, गेयं । गद्य - चूर्णिग्रन्थः ब्रह्मचर्यादि....... - सूत्रकृतांग भूमि, पृ० ७ वश० नियुक्ति गा० १६६ २ नोमा उपि दुविहं, गहियं च पद्मन्त्रयं च बोद्धव्वं । गहियं चउप्पयारं, पन्नगं होइ णेगविहं ॥ ३ प्रथितं रचितं बद्धमित्यनर्थान्तरम् अतोऽन्यत्प्रकीर्णकं - प्रकीर्णककथोपयोगिज्ञान- दशवे० हारिभवीया वृत्ति, पत्र ८७ - दशवेकालिक चूमि, पृ० ७८ पदमित्यर्थः । ४ दशवेकालिक निर्युक्ति, गा० १७० ५ इदाणि खुण्णपदं मण्णइ, जहा बंभचेराणि ६ दशर्वकालिक हारिभद्रीया वृत्ति टीका, पत्रप ७ अत्यबहुलं महत्थं हेउनिवाओवसग्गगंभीरं । बहुपायमवोच्छिन्नं गमणयसुद्धां च चण्णपर्य ॥ वशर्व० नियुक्ति, गा० १७४
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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