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अंग साहित्य : एक पर्यालोचन ६१ (२) लौकिक सन्तान का गौरव-त्याग। (३) शीत उष्ण आदि परीषहों पर विजय । (४) अप्रकम्पनीय सम्यक्त्व । (५) संसार से उद्वेग। (६) कर्मों के क्षीण करने का उपाय । (७) वैयावृत्य का प्रयत्न । () तप की विधि। (8) स्त्री-संग का त्याग । (१०) विधि से भिक्षा का ग्रहण । (११) स्त्री, पशु, नपुंसक आदि से रहित शय्या। (१२) गति-शुद्धि। (१३) भाषा-शुद्धि। (१४) वस्त्र की एषणा। (१५) पात्र की एषणा। (१६) अवग्रह-शुद्धि (१७) स्थान-शुद्धि (१८) निषद्या-शुद्धि (१६) व्युत्सर्ग-शुद्धि (२०) शब्दासक्ति-परित्याग
. . (२१) रूपासक्ति-परित्याग (२२) परक्रिया-वर्जन (२३) अन्योन्यक्रिया-वर्जन (२४) महाव्रतों की दृढ़ता
(२५) सर्वसंगों से विमुक्ति पर्यायवाची नाम
आचारांग नियुक्ति में आचारांग के दस पर्यायवाची नाम दिये हैं।
(१) आयार-यह आचरणीय का प्रतिपादन करने वाला है एतदर्थ . आचार है।
१ आयारो आचालो, आगालो आगरो य आसासो।
आयरिसो अंगति य, आईण्णाज्जाइ आमोक्खा ॥ -आचारांग नियुक्ति, गा०७